जीवन में सुख समृद्धि पाने के लिए इस विधि से करें विनायक चतुर्थी की पूजा


हिंदू देवी देवताओं में गणेश भगवान को प्रथम देवता का दर्जा दिया गया है। किसी भी पूजा या शुभ काम से पहले लोग भगवान गणेश जी का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं। ऐसे में साल के प्रत्येक महीने में गणेश भगवान की पूजा अर्चना के लिए एक दिन निर्धारित किया गया है जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 


मान्यता है कि इस दिन जो कोई भी इंसान भगवान गणेश का पूरे विधि-विधान से पूजा करता है उसके जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है। इसके अलावा उस इंसान के जीवन से आर्थिक संकट दूर हो जाता है, जीवन में उन्हें सुख-समृद्धि मिलती है, धन-दौलत इत्यादि मिलती है।

अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को ही विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन को कई जगहों पर वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। 


विनायक चतुर्थी पूजा तिथि और मुहूर्त

विनायक चतुर्थी को कई जगह पर वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। वरद शब्द का मतलब होता है भगवान से किसी भी इच्छा को पूरा करने के लिए कहना। मान्यता है कि जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें भगवान गणेश ज्ञान व धैर्य का आशीर्वाद देते हैं।

विनायक चतुर्थी – दिनांक – 18 नवंबर 2020 

दिन – बुधवार – मुहूर्त – प्रातः 11:03 से  दोपहर 13:09 तक 


विनायक चतुर्थी पूजा विधि 

  • विनायक चतुर्थी की पूजा मुख्य तौर पर दोपहर में की जाती है।
  • इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने की मान्यता है। 
  • गणेश चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नानादि करके हो सके तो लाल रंग के साफ़ कपड़े पहने।
  • पूजा के समय भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। 
  • पूजा से पहले व्रत का संकल्प लें। 
  • इसके बाद भगवान गणेश को अक्षत, रोली, फूल, गंध, धूप, दीप, नैवेद्य, आदि से सुशोभित करें।
  • इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा और लड्डू का भोग लगाएं।
  • गणेश जी को दूर्वा अर्पित करते समय ‘ॐ गं गणपतयै नम:’ मंत्र का उच्चारण करें। अब गणेश जी की कपूर या घी के दीपक से आरती करें। इसके पश्चात प्रसाद लोगों मे वितरित कर दें।
  • पूजा के बाद लड्डू को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। 
  • दिनभर फलाहार करें और शाम को गणेश भगवान की फिर से पूजा करें। इसके बाद ही भोजन ग्रहण करें। 


विनायक चतुर्थी के दिन जरूर करें ये उपाय 

रुके हुए धन प्राप्ति के लिए पूजा करनी है तो,

  • गणेश चतुर्थी के दिन सुबह उठाकर स्नान करके साफ़ कपड़े पहन कर भगवान गणेश की पूजा करें। 
  • इस दिन भगवान गणेश को दूर्वा और फूलों की माला चढ़ाएं। 
  • इसके बाद शुद्ध घी और गुड़ का भोग लगाएं। 
  • इसके बाद “वक्रतुण्डाय हुं” मंत्र का 54 बार जाप करें। 
  • इसके बाद भगवान से रुके हुए धन के वापस आने की प्रार्थना करें। और थोड़ी देर बाद घी और गुड़ गाय को खिला दें या किसी जरूरतमंद को दे दें। इससे आपकी धन से जुड़ी सभी समस्याएं अवश्य दूर होगी। 

नोट: ज्ञात रहे आपको यह उपाय लगातार पांच विनायक चतुर्थी तक करना है।

बाधा और संकट के नाश के लिए करें ये उपाय। आपके जीवन में कई समस्याएं और बाधाएं आ रही हैं तो इसके लिए, 

  • विनायक चतुर्थी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें और पीले रंग के वस्त्र धारण करें। 
  • भगवान के सामने शुद्ध घी का चौमुखी दीपक जलाएं। 
  • पूजा में लड्डू चढ़ाएं, लड्डू उतने चढ़ाएं जितनी आपकी उम्र हो। 
  • बाधा दूर करने के लिए भगवान गणपति से प्रार्थना करें। 
  • इसके बाद एक लड्डू खुद खा लें और बाकियों को ज़रुरतमंदों में बांट दें। 
  • सूर्य नारायण के सूर्याष्टक का गणेश जी के सामने तीन बार पाठ करें। इससे आपकी समस्या अवश्य दूर हो जाएगी। 


बच्चों के लिए बुद्धि का वरदान मांगना हो तो क्या करें? अगर भगवान गणपति से बच्चों के लिए बुद्धि और समझदारी का वरदान मांगना हो तो, 

  • इस दिन पूजा में 5 लाल गुलाब का फूल, 5 हरी दूर्वा की पत्तियां, गणपति भगवान को अर्पित करें।
  • इसके बाद घी का दीपक जलाएं और ‘ॐ बुद्धि प्रदाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। 
  • इस दिन भगवान को प्रसाद के रूप में मोदक चढ़ाएं।
  • इसके बाद एक मोदक घर में ले आए और बच्चों को खिलाएं बाकी बचा मोदक किसी भी छोटे या जरूरतमंद बच्चों में बांट दें।

विनायक चतुर्थी व्रत कथा 

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। उस समय दोनों चौपड़ खेल रहे थे। हालांकि तब उनके दिमाग में यह ख्याल आया कि खेल में हार-जीत का फैसला कौन करेगा? तब भगवान शिव ने कुछ दाने और फूल-पत्ती को इकट्ठा किया, उनसे एक पुतला बनाया, उसकी प्राण प्रतिष्ठा की और पुतले से कहा, बेटा हम चौपड़ खेलना चाहते हैं, और हमारी हार-जीत का फैसला तुम करोगे।

इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव चौपड़ खेलना शुरू कर देते हैं। यह खेल तीन बार खेला गया और तीनों बार माता पार्वती ही जीती थी। हालांकि जब खेल समाप्ति के बाद बालक से हार-जीत का फैसला लेने को कहा गया तो उस बालक ने महादेव को विजयी बताया। 

यह सुनकर माता पार्वती को बेहद क्रोध हुआ और उन्होंने बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। तब बालक ने माता से माफी मांगी और कहा कि, मुझसे ऐसी भूल हो गई है कृपया मुझे ऐसा श्राप ना दें। बालक को क्षमा मांगता देख माता का दिल पसीज गया और उन्होंने बालक से कहा, ‘यहाँ कुछ समय में गणेश पूजन के लिए कुछ नागकन्या आएंगी। उनके कहे अनुसार तुम भी गणेश का व्रत करना। ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त कर लोगे।’ ऐसा कहकर भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत पर चले गए। 

एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्या गणेश भगवान का व्रत करने आईं। तब बालक ने उनसे व्रत की विधि पूछ कर 21 दिनों तक लगातार व्रत किया। बालक की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश वहां प्रकट हुए और उन्होंने बालक से मनोवांछित फल मांगने को कहा। तब बालक ने भगवान से कहा, ‘हे प्रभु मुझे इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने माता-पिता के पास जा सकूं।’ तब भगवान तथास्तु कहकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए। बालक इसके बाद कैलाश पर्वत पर पहुंचा जहाँ उसने सारी बात भगवान शिव को बताई। 

भगवान शंकर ने माता पार्वती को ये बात बताई जिसे सुनकर माता पार्वती के मन में अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा जागृत हुई। इसके बाद माता पार्वती ने भी 21 दिन तक भगवान गणेश का व्रत किया और 21 दिनों में व्रत के प्रभाव से स्वयं भगवान कार्तिकेय माता पार्वती से मिलने आ गए। तभी से गणेश चतुर्थी का यह व्रत इंसान की समस्त मनोकामना की पूर्ति करने वाला व्रत माना गया।


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