ज्योतिषि में ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है। सनातन धर्म के अनुसार, ग्रहण की घटना के पीछे राहु-केतू और सूर्य-चंद्रमा की शत्रुता की कहानी बताई जाती है। साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लगने जा रहा है। इसके 15 दिन बात ही चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। ज्योतिषियों की मानें तो पृथ्वी और चंद्रमा के मध्य सूर्य के आ जाने से चंद्र ग्रहण लगता है। इस समय पृथ्वी पर राहु का प्रकोप बढ़ जाता है और इसका अशुभ प्रभाव हर जगह देखने को मिलता है। आमतौर पर लोग ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कई तरह के उपायों को अपनाते हैं। साल में लगभग 4 ग्रह लगते हैं, जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होता है।
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चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सनातन धर्म में इस दौरान कई नियमों का पालन करने की परंपरा है, ताकि ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचा जा सके। इन्हीं में से एक कार्य जो अक्सर सभी घरों में किया जाता है, वे है खाने-पीने के सामान में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करना ताकि ग्रहण के अशुभ प्रभाव इन चीजों पर न पड़ सकें। लेकिन क्या आप जानते हैं तुलसी के अलावा भी ऐसी कई चीज़ें है, जिसका इस्तेमाल ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए किया जा सकता है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं इस बारे में।
तुलसी के अलावा ग्रहण में इन चीज़ों का भी कर सकते हैं इस्तेमाल
ग्रहण में दूर्वा घास
ग्रहण के दौरान दूर्वा घास का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये एक प्रकार की घास होती है। सनातन धर्म में लोग पूजा- पाठ और शुभ कार्यों में दूर्वा का इस्तेमाल करते हैं। दूर्वा घास को ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है इसलिए दूर्वा को ग्रहण लगने से पहले खाने और पानी वाले सामान में रख दिया जाता है। इतना ही नहीं, मंदिर में भी प्रतिमा को सुरक्षित रखने के लिए दूर्वा को रखा जाता है। चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के दौरान पूरे वातावरण में हानिकारक और नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है इसलिए इसे सुरक्षित बनाए रखने के लिए हर खाने और पीने वाले सामान में दूर्वा घास रखना शुभ माना जाता है। ग्रहण के बाद दूर्वा घास के रखे बिना कोई भी भोजन को दूषित माना जाता है और मान्यता है कि इसका अशुभ प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलता है।
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तिल का करें इस्तेमाल
ज्योतिष के अनुसार, जब ग्रहण लगने वाला रहता है तब कई अशुभ शक्तियां जाग जाती है इसलिए इनके दुष्प्रभावों से बचने के लिए ग्रहण के समय लोग दान-पुण्य करने में विश्वास रखते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से शांति बनी रहती है। ज्योतिष के अनुसार, सूर्यग्रहण के दौरान राहु केतु की शांति के लिए ग्रहण पूर्व तिल, तेल, कोयला, काले वस्त्र दान के लिए रख लें और ग्रहण समाप्त होने पर स्नान पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को दान कर दें। तिल का दान बबुत अधिक शुभ माना गया है, इससे राहु-केतु शांत रहते हैं और व्यक्ति को अनावश्यक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
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गंगाजल का करें प्रयोग
सनातन धर्म में गंगाजल को सबसे ज्यादा पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है इसलिए ग्रहण के दौरान गंगाजल का प्रयोग बहुत ही शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में ग्रहण के बाद गंगाजल डालकर स्नान करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए ग्रहण के बाद स्नान करना बहुत जरूरी बताया गया है। साथ ही, लोग गंगाजल से भी घर भी शुद्ध करते हैं।
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