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गोत्र एवं प्रवर

गोत्र एवं प्रवर

  1. कात्यायन  - कात्यायन, विष्णु, आङ्गिरस |
  2. पराशर - शक्ति, वशिष्ठ, पराशर |
  3. काश्यप - काश्यपावत्सार, नैध्रुव |
  4. वत्स - और्व, च्यवन, भार्गव, जामदग्न्य, आप्नवान |
  5. सावर्ण्य - सावर्ण्य, और्यच्यवन, भार्गव, जामदग्न्य, आप्नवान |
  6. भारद्वाज - भारद्वाज, आङ्गिरस, बार्हस्पत्य |
  7. शाण्डिल्य - शाण्डिल्य, असित, देवल |
  8. गौतम - गौतम, आङ्गिरस, औतथ्य |
  9. गाग्र्य - गाग्र्य, घृतकौशिक, माण्डव्य, अथर्व, वैशम्पायन |
  10. कौशिक - कौशिक, अत्रि, जमदग्नि |
  11. कृष्णात्रि - कृष्णात्रेय, आप्नवान, सारस्वत |
  12. वसिष्ठ - वसिष्ठ, अत्रि, सांकृत |
  13. कौण्डिन्य - कौण्डिन्य, आन्तीक, कौशिक |
  14. विष्णुवृद्धि - विष्णुवृद्धि, पौरुकुत्सत्र, सदस्यव |
  15. मौद्गल्य - मौद्गल्य, आङ्गिरस, भार्म्यश्व |
  16. भार्गव - भार्गव, च्यवन, आप्नवान, और्व, जामदग्नि |
  17. कापिष्ठल - वसिष्ठ |
  18. गर्ग - आङ्गिरस, भारद्वाज, बार्हस्पत्य, श्रवत, गर्ग |
  19. कौण्डिन्य - कौण्डिन्य, वसिष्ठ, मित्रावरुण |
  20. वैजवाप - अत्रि, गविष्ठिर, पूर्वार्ध |
  21. गालव - विश्वामित्र, देवरात, औदुम्बर |
  22. दालभ्य - कश्यपावत्सार, नैध्रुव |
  23. सांकृत - सांकृत्यागिरस, गौरिवीत |
  24. सांख्यायन - सांख्यायन, वाचस्पति, आङ्गिरस, श्रवत, गर्ग |
  25. आङ्गिरस - आङ्गिरस, गौतम, भारद्वाज |
  26. उपमन्यु - उपमन्यु, औतथ्य, आङ्गिरस |
  27. आष्टिषेण - भार्गव, च्यवन, आप्नवान, आष्टिषेण, अनूप |
  28. आश्वलायन - भार्गव, वार्ध्यश्व, दिवोदास |
  29. औशनस - औशनस, भरद्वाज, शब्देन्द्र |
  30. औतथ्य - गौतम, आङ्गिरस, औतथ्य |
  31. कौसल्य - आगन्त, माहेन्द्र, मायेभू |
  32. मौद्गल्य - आङ्गिरस, भार्म्यश्व, मौद्गल्य |
  33. देवरात -  विश्वामित्र, देवरात, औदल |
  34. कौत्स -  आङ्गिरस, कौत्य, सांख्यायन |
  35. कौशिक - कौशिक, अघर्षण, विश्वामित्र |
  36. जमदग्नि - जामदग्न्य, और्व, वशिष्ठ |
  37. जैमिनि - जैमिनि, औतथ्य, सांकृत |
  38. कौथुम - आङ्गिरस, बार्हस्पत्य, भरद्वाज, वान्दन, मातवचसा |
  39. देवल - शाण्डिल्य, असित, देवल |
  40. विदल - वैश्वामित्र, देवरात, औदल |
  41. वासल - भार्गव, च्यवन, आप्नवान, और्व, जामदग्न्य |
  42. वैशम्पायन - विश्वामित्र, जमदग्नि |
  43. विश्वामित्र - विश्वामित्र, बृहस्पति, वृषगुण |
  44. याज्ञवल्क्य - याज्ञवल्क्य, आङ्गिरस, अजमी |
  45. शालंकायन - शालंकायन, अप्सार, नैध्रुव, आङ्गिरस, बार्हस्पत्य |
  46. शौनक - शौनक, शौनहोत्र, गृत्समद |
  47. गोभिल - गोभिल, असित, देवल |
  48. यास्क - यास्क, मित्रयुव, वैन्य |
  49. मार्कण्डेय - मार्कण्डेय, च्यवन, और्व, जामदग्न्य, आप्नवान |
  50. कण्व - कण्व, आङ्गिरस, अजमीढ़ |
  51. हारीत - आङ्गिरस, अम्बरीष, यौवनाश्व |
  52. भालन्दन - भालन्दन, गविष्ठिर, पूर्वातिथ्य |
  53. घृतकौशिक - घृतकौशिक, कौशिक, विश्वामित्र |
  54. लोगाक्षि - आङ्गिरस, सांकृत, गौरिवीत |
  55. अघमर्षण - विश्वामित्र, अघमर्षण, कौशिक |   

  • 1. देवि के लिए अष्टगंध की विधि इस प्रकार हैं -    
           चन्दनागरुकर्पूरं कुंकुम रोचनं तथा | शिलारसो जटामांसी कर्चूरं चैकवृद्धितः ||
           चन्दनागरुकर्पूरं चोरकुंकुमरोचनाः | जटामांस्यथ कस्तूरीशक्तेर्गन्धाष्टकं विदुः ||
            अर्थात् - चन्दन एक अंश, अगरु दो अंश, कर्पूर तीन अंश, कुंकुम चार अंश, रोचन पांच अंश, शिलारस छः अंश, जटामांसी सात अंश, और कर्चूर आठ अंश |      

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