माणिक्य रत्न को पूर्वी देशों में धरती मां के हृदय के रक्त की बूंद के रूप में वर्णित किया गया है। इसे सभी कीमती रत्नों का राजा व नेता के रूप में भी जाना जाता है। भारत में ऐसी मान्यता है कि जो लोग भगवान श्री कृष्ण को माणिक्य रत्न समर्पित करते हैं, उन्हें भविष्य में उच्च पद की प्राप्ति होती है। माणिक्य को अंग्रेजी में रूबी के नाम से भी जाना जाता है। रूबी एक लैटिन शब्द रूबर से लिया गया है जिसका अर्थ रेड यानि लाल होता है। माणिक का रंग हल्के गुलाबी से लेकर गहरे लाल रंग तक का होता है। हल्के रंग के माणिक्य को महिलाओं व गहरे रंग के माणिक्य को पुरुषों के लिए उपयुक्त माना जाता है। उच्च पद पर आसीन लोगों के लिए माणिक्य बिल्कुल आदर्श रत्न है। रूबी यानि माणिक्य को बाइबल व संस्कृत के लेखों में सबसे प्राचीनतम रत्नों में से एक माना गया है। माणिक्य को सूर्य का रत्न माना जाता है, ऐसे में इसके प्रभाव से जातक शारीरिक व मानसिक तौर पर स्वस्थ रहता है। दुनिया भर से प्राप्त होने वाले माणिक्य रत्न में बर्मा देश का माणिक्य सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है क्योंकि यह मूल लाल रूबी पत्थर का बेहतरीन स्रोत माना जाता है।
माणिक्य के फायदे
- रूबी यानि माणिक्य को पहनने के कई फायदे हैं। माणिक सूर्य का रत्न है, ऐसे में इसे धारण करने से जातक के भीतर ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा माणिक्य के अंदर वो सभी खूबियां हैं जिनका प्रतिनिधित्व सूर्य करते हैं। इसे पहनने से व्यक्ति को सफलता मिलती है। कुछ लोग इस रत्न को केवल शान-शौकत के लिए पहनते हैं जबकि कुछ इसे ज्योतिषीय कारण से भी धारण करते हैं।
- सूर्य को सभी ग्रहों का राजा व नेतृत्व शक्ति के लिए जाना जाता है। सूर्य को समर्पित रत्न यानि माणिक्य को पहनने से व्यक्ति के अंदर भी नेतृत्व के गुण आ जाते हैं जिसके चलते उस व्यक्ति को अाधिकारिक और प्रशासनिक सेवाओं के पदों से प्रशंसा प्राप्त होती है।
- रूबी रत्न आपके भीतर छिपी संकोच की प्रवृत्ति को खत्म करता है व आत्म-विश्वास को बढ़ाता है।
- गहरे लाल रूबी रत्न को धारण करने से दिल में प्रेम, करुणा, उत्साह व जोश का संचार होता है।
- इस रत्न के तेज के प्रभाव से व्यक्तित्व में एक अलग सा आकर्षण आता है।
- रेड रूबी स्टोन यानि माणिक्य रत्न धारण करने से जातक को अवसाद से लड़ने में मदद प्राप्त होती है और नेत्र व रक्त संचार से संबंधित समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
- यदि आपकी जन्म कुंडली में सूर्य द्वितीय या चतुर्थ भाव में स्थित है तो आपको अपने पारिवारिक संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को अपने संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।
माणिक्य रत्न के नुकसान-
हर रत्न के अपने कुछ फायदे व नुकसान होते हैं। रूबी या माणिक्य पत्थर के दुष्प्रभाव से परिचित होने के लिए नीचे पढ़ेंः
- यह रक्तचाप से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकता है।
- यह कार्य स्थल पर उच्च अधिकारियों के साथ विवाद को जन्म दे सकता है।
- यह व्यवहार में उग्रता व स्वभाव में होने वाले जल्द बदलाव के लिए भी जिम्मेदार होता है।
- माणिक्य के दुष्प्रभाव के कारण जातक अपने विवेक व निर्णय लेने की क्षमता को भी खो देता है, इसी कारण वह वित्तीय संकट से गुज़रने के बावजूद भी विलासिता पूर्ण जीवन बिताता है और हद से ज़्यादा ख़र्च करता है।
- माणिक्य का संबंध सूर्य से होने के कारण यदि ये आपके उपयुक्त नहीं है तो आपको हृदय, नेत्र अथवा अन्य रोग दे सकता है। इसके साथ ही आपके अंदर अहंकार को बढ़ा सकता है।
कितने रत्ती यानि वज़न का माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए?
जब बात हो रही है रूबी यानि माणिक्य रत्न को चुनने की तो ज्योतिषीय तथ्यों के अनुसार माणिक्य कम से कम एक कैरेट का पहनना ही चाहिए। माणिक्य को केवल सोने या तांबे की धातु में बनवाकर पहना जा सकता है। सामान्यत: 2-3 कैरेट का माणिक्य रत्न अच्छा माना जाता है लेकिन 5-7 कैरेट के माणिक्य रत्न को सबसे उचित और महत्वपूर्ण बताया गया है। इसके अलावा माणिक्य एक गर्म रत्न है जो शरीर में पित्त को नियंत्रित करने का कार्य करता है। यह शरीर में पित्त या अग्नि तत्व का संचालन करता है।
यदि हम इस अनमोल रत्न के सुचालक गुणों के नतीजे की बात करें तो यह स्पष्ट है कि यह एक अच्छा ताप चालक है। इसे सोने या तांबा धातु में बनवाने से रत्न की ऊर्जा संतुलित रहती है। इसी कारण अच्छे ताप चालक सोना और तांबा प्रभावी रूप से इस रत्न की ऊर्जा को संचारित करते हैं।
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ज्योतिषीय विश्लेषणः विभिन्न राशियों पर माणिक्य रत्न का प्रभाव-
विभिन्न राशियों पर माणिक्य रत्न के प्रभाव कुछ इस प्रकार हैं-
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मेष- कई बार निजी व व्यावसायिक जीवन में संतुष्टि पाने के लिए मेष राशि के जातकों को माणिक्य पहनने का सुझाव दे दिया जाता है।
वृषभ- अपनी पर्सनल व प्रोफेशनल स्थिति को सुधारने के लिए इस राशि के जातकों को माणिक्य रत्न की सलाह दी जाती है, लेकिन केवल एक अनुभवी ज्योतिषी की सहमति के बाद।
मिथुन- इस राशि के लोगों को माणिक्य रत्न न पहनने का सुझाव दिया जाता है।
कर्क- कर्क राशि के जातकों को माणिक्य रत्न पहनने की सलाह अपनी निजी व व्यावसायिक ज़िंदगी की प्रतिष्ठा को मज़बूत करने के लिए दी जाती है। इसके अलावा यह रत्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं विशेष रूप से आंखों की प्राॉब्लम व उसके इलाज में मदद करता है।
सिंह- सूर्य सिंह राशि का स्वामी है तो ऐसे में सूर्य से अनगिनत फल प्राप्त करने के लिए इस राशि के लोग माणिक्य रत्न धारण कर सकते हैं।
कन्या- इस राशि के लोगों को माणिक्य रत्न न पहनने की सलाह दी जाती है।
तुला- इस राशि के जातकों को भी ज़्यादातर माणिक्य नहीं पहनने का सुझाव दिया जाता है।
वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातकों के लिए माणिक्य रत्न बहुत फायदेमंद है खासतौर पर उनके प्रोफेशनल जीवन के लिए यह सबसे उत्तम है।
धऩु- इस राशि के लोगों के लिए भी माणिक्य रत्न बहुत ज़्यादा लाभप्रद है खासतौर पर भाग्य को चमकाने के लिए इसको ज़रूर धारण करना चाहिए।
मकर- इस राशि के जातकों को माणिक्य रत्न धारण नहीं करने की सलाह दी जाती है।
कुंभ- अनुभवी ज्योतिषी के सुझाव के अनुसार कुंभ राशि के जातक केवल कुछ विशेष परिस्थिति में ही इस रत्न को पहन सकते हैं।
मीन- मीन राशि के लोग भी माणिक्य रत्न को कुछ विशिष्ट और वांछित परिस्थितियों में धारण करते हैं। वैसे एक अच्छा ज्योतिषी ही इस बात का निर्णय ले सकता है कि किसे यह रत्न पहनना चाहिए और किसे नहीं पहनना चाहिए।
(सूचना: हम सभी पाठकों को यह सुझाव देते हैं कि कोई भी रत्न पहनने से पहले एक बार किसी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।)
माणिक्य रत्न की तकनीकी संरचना
रूबी यानि माणिक्य खनिज क्रोमियम के अवशेषों के साथ एल्युमीनियम ऑक्साइड (Al2O3) का एक यौगिक है जो लाल रंग का होता है। माणिक्य खनिजों के परिवार कोरन्डम से संबंधित होता है और मोह्स स्कैल पर इसकी कठोरता 9 होती है। माणिक्य रत्न की गुरुत्वाकर्षण सीमा 4.03 होती है और अगर हम लहर प्रकाशिकी के क्षेत्र में उदाहरण देते हैं तो यह एक विचित्र प्रकृति का रत्न होता है।
माणिक्य रत्न धारण करने की विधि
सूर्य के रत्न माणिक्य को सोने या तांबे में अंगूठी बनवाकर पहना जा सकता है। इस अंगूठी को पहनने से पहले कच्चे दूध या गंगा जल में भिगोएं। भगवान शिव या भगवान विष्णु को सफेद या लाल फूल अर्पित करें और धूप जलाकर सूर्य के बीज मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रोम सः सूर्याय नमः का 108 बार जाप करें। इन अनुष्ठानों को करने के बाद आप अंगूठी को रविवार को सुबह या कृतिका, उत्तरा फाल्गुनी और उत्तराषाढ़ा नक्षत्रों के दौरान भी पहन सकते हैं।