वैदिक ज्योतिष के अनुसार पूर्णिमा से लेकर अमावस्या तक और अमावस्या से लेकर पूर्णिमा तक के बीच के समय को एक पक्ष कहा जाता है। इस दौरान चंद्रमा की कलाएं धीरे-धीरे घटती और बढ़ती रही हैं। चंद्रमा और सूर्य के बीच कोणीय दूरी बढ़ती रहती है जिससे तिथियों का निर्माण होता है।
सामान्य तौर पर एक पक्ष में 15 तिथियां होती हैं लेकिन चंद्रमा कभी भी एक गति से नहीं चलता है इसलिए कभी-कभी ऐसी स्थिति बनती है कि किसी पक्ष में सिर्फ 13 तिथियां आती हैं। इसे विश्वघस्र पक्ष कहा जाता है। इस पक्ष को अत्यंत अशुभ माना जाता है।
इस साल भी विश्वघस्र पक्ष पड़ रहा है और इसकी शुरुआत 22 जून से हो चुकी है। इस तिथि पर कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा और चतुर्दशी तिथि कम हो गई है। इस वजह से इस पक्ष में केवल 13 तिथियां ही होंगी। इस अशुभ पक्ष के कारण आने वाले कुछ महीनों में देश-दुनिया में परेशानियां और संकट का माहौल देखा जा सकता है। प्राकृतिक आपदाएं और राजनीतिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव आने की आशंका है।
आगे जानिए कि विश्वघस्र पक्ष का किस क्षेत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
महाभारत से होती है तुलना
चूंकि, इस पक्ष में 13 तिथि आती हैं इसलिए इसकी तुलना महाभारत के युद्ध के 13 दिनों वाले पक्ष से की जाती है। लोगों का मानना है कि यह पक्ष महाभारत की तरह ही विध्वंस लेकर आता है। हालांकि, विश्वघस्र पक्ष की तुलना महाभारत से करना उचित नहीं है। माना कि विश्वघस्र पक्ष में भी विध्वंस होता है और हर जगह उत्पात देखने को मिलता है लेकिन हर 13 तिथि का उत्पात महाभारत जैसा नहीं होता है।
महाभारत युद्ध का जो 13 तिथियों का पक्ष था, वह शुक्ल पक्ष विश्वघस्र पक्ष था और उस समय सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण के बीच 13 तिथियों का पक्ष था। अब जो स्थिति बन रही है, वह महाभारत के 13 दिनों से अलग है। किसी भी सामान्य विश्वघस्र पक्ष की तुलना महाभारत के 13 दिनों से नहीं की जा सकती है।
कैसा होता है असर
इससे पहले साल 2010 में मई के महीने में वैशाख शुक्ल पक्ष में भी 13 तिथियों का पक्ष आया था। इस दौरान मध्य पूर्व के कई देशों में कई सरकारें गिर गईं थीं और इसका कारण था भ्रष्टाचार। मिस्त्र, लीबिया और टुनिशिया जैसे देशों में पूरी सत्ता बदल गई थी और यमन, भारत में पाकिस्तान में लोगों ने भ्रष्टाचार का जमकर विरोध किया था।
इसके अलावा साल 2021 में भी विश्वघस्र पक्ष पड़ा था जो कि सितंबर में आया था और इसकी वजह से यूक्रेन और रूस का विवाद युद्ध तक पहुंच गया था। आज तक ये युद्ध बंद नहीं हो पाया है। इसके साथ ही इस समय महंगाई की दर भी बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। आगे जानिए कि अब जून-जुलाई में पड़ रहे विश्वघस्र पक्ष का क्या असर पड़ने वाला है।
इस बार क्या पड़ेगा प्रभाव
इस बार अच्छी वर्षा होगी। हालांकि, भारी वर्षा के कारण बंगाल में बाढ़ आने की आशंका है। वृषभ राशि के प्रभाव में बिहार और झारखंड में भी ज्यादा बारिश की वजह से पैसों का नुकसान हो सकता है। यहां तक कि लोगों की जान तक जा सकती है।
वहीं दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में मूसलाधार बारिश होने के आसार हैं। वहीं मेष राशि में मंगल पर शनि की दृष्टि पड़ने की वजह से दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में कम बारिश होने की उम्मीद है।
29 जून को शनि के कुंभ राशि में वक्री होने से असामान्य वर्षा और भूकंप आने का डर है। राजनीति के क्षेत्र में भी उतार-चढ़ाव आ सकता है।
आ सकता है भूकंप
ये 13 तिथियां बहुत भारी पड़ सकती हैं और जुलाई एवं अगस्त के महीनों में पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन, भूकंप और बादल फटने जैसे हादसे हो सकते हैं। इससे जन-धन की हानि भी हो सकती है। इस दौरान लोगों को खासतौर पर सावधान रहने की ज़रूरत है।
01 जूलाई से लेकर 17 अगस्त तक उत्तर भारत, पाकिस्तान और ईरान जैसे देशों में कोई प्राकृतिक आपदा आ सकती है। वहीं 28 जुलाई से 17 अगस्त के दौरान मंगल रोहिणी नक्षत्र से पीड़ित होंगे जिसकी वजह से तेज वर्षा होने के आसार हैं। इससे उत्तर और पश्चिम भारत में बाढ़ आने की आशंका है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. किसी पक्ष में दो तिथि का क्षय होना।
उत्तर. विश्वघस्र पक्ष द्वापर युग में महाभारत में भी बना था।
उत्तर. शुक्ल पक्ष, कृष्ण पक्ष से श्रेष्ठ होता है।
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