हिंदू धर्म में सावन के महीने को बहुत ही ज्यादा शुभ और पवित्र माना जाता है। इस मास में विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सावन मास में सृष्टि की बागडोर भोलेनाथ के हाथ में होती है। हर साल सावन माह में कांवड़ यात्रा भी निकाली जाती है। इस ब्लॉग में हम आपको बता रहे हैं कि साल 2024 में सावन माह या श्रावण मास कब से शुरू हो रहा है।
कब है श्रावण माह 2024
वर्ष 2024 में श्रावण यानी सावन माह 22 जुलाई से आरंभ हो रहा है। इस दिन सावन का पहला सोमवार भी है। सावन के पहले सोमवार को प्रीति योग बन रहा है। 21 जुलाई को रात्रि 09 बजकर 10 मिनट पर प्रीति योग आरंभ होगा और अगले दिन 22 जुलाई को शाम 05 बजकर 57 मिनट पर इसका समापन होगा।
यह कुल 27 योगों में से दूसरा योग है। इस योग वाले जातक जीवंत, जिज्ञासु और रोमांचक होते हैं। इन्हें सुंदरता से बहुत प्यार होता है। ये चतुर होते हैं और सफलता प्राप्त करने का गुर इन्हें पता होता है।
सावन 2024 में सोमवार की तिथियां
22 जुलाई को पहला सोमवार पड़ रहा है और इसके बाद 29 जुलाई, 05 अगस्त, 12 अगस्त और 19 अगस्त को सावन का सोमवार है। 19 अगस्त को ही श्रावण मास का समापन हो जाएगा। इस बार सावन की शुरुआत भी सोमवार से हो रही है और इसकी समाप्ति भी सोमवार से ही हो रही है। इस बार श्रावण मास में पांच सोमवार पड़ रहे हैं।
सावन में मंगला गौरी का व्रत
सावन मास में पहला मंगला गौरी का व्रत 23 जुलाई को है और इसके बाद फिर 30 जुलाई, 06 अगस्त और फिर 13 अगस्त को मंगला गौरी का व्रत है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सावन मास के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने जो व्रत रखे थे, उनमें से एक मंगला गौरी व्रत भी था। सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखती हैं।
सावन शिवरात्रि 2024
सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का बहुत ज्यादा महत्व होता है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। 02 अगस्त शुक्रवार को सावन की शिवरात्रि पड़ रही है। 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से चतुर्दशी तिथि आरंभ होगी और इसका समापन अगले दिन दोपहर 03 बजकर 53 मिनट पर होगा। शिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है इसलिए 02 अगस्त को सावन शिवरात्रि मनाई जाएगी।
सावन माह का क्या महत्व है
ज्योतिष और धार्मिक दृष्टि से सावन मास का बहुत महत्व है और यह बहुत फलदायी भी है। सावन महीने में पड़ने वाले सोमवार बहुत शुभ माने जाते हैं। सावन के सोमवार में व्रत रखने से परिवार में खुशियां आती हैं और जीवन की सभी समस्याएं एवं अड़चनें दूर होती हैं।
व्यक्ति के जीवन में सुख-संपन्नता आती है और उसकी आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। मान्यता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति मज़बूत होती है।
सावन सोमवार व्रत रखने की पूजन विधि
- सोमवार के दिन सुबह उठकर स्नान कर लें। इसके बाद अपने घर का पूजन स्थल साफ करें और उसे फूलों से सजाएं।
- अब आप भगवान शिव को दूध, दही, घी, शहद और चीनी से बना पंचामृत अर्पित करें।
- इसके बाद फूल, फल और बेल के पत्ते चढ़ाएं।
- भगवान शिव की उपासना करें और उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।
- शिव जी को दूध, धतूरा के फल, बेलपत्र, चंदन, दही, शहद, घी और चीनी चढ़ाएं। आप इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
सावन के व्रत में क्या करें और क्या न करें
सावन के व्रत में व्रती को कुछ नियमों का पालन करना होता है, जैसे कि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद साफ और धुले हुए वस्त्र ही पहनने चाहिए।
- पूरा दिन भगवान शिव का नाम लें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को वस्त्र और भोजन दान में दें।
- मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन न करें।
- व्रत के दिन लहसुन और प्याज़ खाने से बचें।
सावन मास में क्या किया जाता है?
सावन शिवरात्रि या सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद भगवान शिव की मूर्ति की पूजा करें। शिवलिंग का जलाभिषेक करें और व्रत रखें। इस पूरे दिन मंत्र और प्रार्थना करें।
सावन शिवरात्रि या सोमवार के व्रत में फल खा सकते हैं और नमक वाली चीज़ों का सेवन करने से परहेज़ किया जाता है। पूरा दिन भगवान की उपासना करें और किसी को भी अपशब्द न कहें।
व्रत खोलते समय आप कुट्टू के आटे की पूरी, फल की चाट, उबले हुए आलू, साबूदाना की खीर और योगर्ट या दही आदि खा सकते हैं।
सावन के महीने में नहीं कटवाने चाहिए बाल
श्रावण मास को उन्नति और प्रगति का प्रतीक माना जाता है। इस समय दक्षिण-पश्चिम मानसून किसानों के लिए खुशी की लहर लेकर आता है। मानसून होने की वजह से इस समय फसलों का भी अच्छे से विकास हो पाता है। चूंकि, भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए यहां पर मानसून और बारिश को बहुत महत्व दिया जाता है।
श्रावण मास विकास से जुड़ा है इसलिए इसे लेकर माना जाता है कि जो भी चीज़ प्राकृतकि रूप से और किसी प्रयास के बिना उगती है, उसे काटना नहीं चाहिए। बाल हों या नाखून, सावन के महीने में इन्हें काटना वर्जित होता है।
सावन में प्याज़ और लहसुन क्यों नहीं खाते हैं
श्रावण मास में प्याज़ और लहसुन न खाने के पीछे लोगों की धार्मिक मान्यता है लेकिन इसका एक व्यवहारिक कारण भी है। लहसुन और प्याज़ परतों वाली सब्जी हैं और ये मिट्टी के अंदर उगती हैं। बारिश की वजह से मिट्टी के ऊपर कीचड़ इकट्ठी हो जाती है और वहां पर उगने वाली प्याज़ एवं लहसुन में बैक्टीरिया पनपने लगता है।
कहा जाता है कि बैक्टीरिया प्याज़ और लहसुन की सभी परतों में घुस जाता है इसलिए सावन के महीने में इन दोनों चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
सावन के महीने में क्यों नहीं करना चाहिए मास का सेवन
भगवान शिव को पशुपतिनाथ के नाम से भी जाता है। पशुपतिनाथ का अर्थ है सभी जानवरों और जीव-जंतुओं के स्वामी। ऋषियों और तपस्वियों का कहना है कि भगवान शिव की पशुपतिनाथ के रूप में पूजा होती है इसलिए उन प्राणियों और जीवों का सेवन नहीं करना चाहिए, जो उन्हें प्रिय हैं और सावन मास में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. सावन मास 22 जुलाई से आरंभ हो रहा है।
उत्तर. सावन में शिवरात्रि 02 अगस्त को है।
उत्तर. सावन मास में भगवान शिव की उपासना होती है।
उत्तर. यह विक्रम संवत 2081 है।
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