हिंदू कैलेंडर के नौवां महीना मार्गशीर्ष का महीना कहलाता है। वैदिक ज्योतिष में इस माह को बहुत अधिक शुभ माना जाता है और यह महीना भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है। मार्गशीर्ष माह के बारे में श्री कृष्ण ने भगवद् गीता में कहा है कि ‘मासनम मार्गशीर्ष सम नक्षत्राणां तथभिजीत’। यानी महीनों में, वे मार्गशीर्ष (अगहन) मास हैं, जो सबसे श्रेष्ठ है। “नक्षत्राणाम तथाभिजीत” का अर्थ है कि नक्षत्रों में वे अभिजीत नक्षत्र हैं, जो शुभ और विजय दिलाने वाला है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने से सतयुग का आरंभ हुआ था, इस कारण से पूजा, जप, तप और ध्यान का विशेष महत्व होता है।
आज इस ब्लॉग में हम मार्गशीर्ष मास से जुड़ी तमाम रोमांचक चीज़ों के बारे में विस्तार से बताएंगे जैसे कि इस माह के दौरान कौन-कौन से व्रत-त्योहार आएंगे? इस माह में कौन से उपाय किए जाने चाहिए? इस माह का धार्मिक महत्व क्या है? और इस मास में जातकों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ऐसी ही कई जानकारियों से लबालब है Omasttro का यह विशेष ब्लॉग, इसलिए अंत तक ज़रूर पढ़ें।
मार्गशीर्ष मास 2024: तिथि
मार्गशीर्ष माह का आरंभ 16 नवंबर 2024 शनिवार को होगा जिसकी समाप्ति 15 दिसंबर 2024 रविवार को हो जाएगी। फिर इसके बाद 10वां महीना पौष आरंभ हो जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष मास, भगवान श्री कृष्ण की उपासना के लिए भी समर्पित है क्योंकि यह माह श्री कृष्ण को बहुत अधिक प्रिय है।
मार्गशीर्ष मास का महत्व
मार्गशीर्ष मास, जिसे ‘अगहन’ भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह वर्ष का नौवां महीना है और इसे अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह मास भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है और इसे गीता में उन्होंने श्रेष्ठ महीना कहा है। इस मास में पूजा, व्रत, और ध्यान विशेष फलदायी माने जाते हैं। मार्गशीर्ष मास को साधना और ध्यान के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इस मास में ध्यान करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। विशेषकर इस महीने पड़ने वाली एकादशी व्रत और पूजा अत्यधिक फलदायी होती है।
इस मास को सत्य और धर्म का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान किए गए धार्मिक अनुष्ठान और पूजा व्यक्ति को सत्य और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ाते हैं और जीवन में सकारात्मकता लाते हैं। इस माह में श्री कृष्ण की पूजा के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। धन, सुख, और समृद्धि के लिए इस मास में व्रत, पूजा, और दान करने से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
यही नहीं यह मास कृषि कार्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है। नए अनाज की शुरुआत इस मास में होती है, इसलिए इसे समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। किसानों के लिए यह उत्सव और खुशी का समय होता है।
मार्गशीर्ष मास में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार
मार्गशीर्ष मास यानी कि 16 नवंबर 2024 से 15 दिसंबर 2024 के दौरान हिन्दू धर्म के कई प्रमुख व्रत-त्योहार आने वाले हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
तिथि | वार | पर्व |
16 नवंबर, 2024 | शनिवार | वृश्चिक संक्रांति |
18 नवंबर, 2024 | सोमवार | संकष्टी चतुर्थी |
26 नवंबर, 2024 | मंगलवार | उत्पन्ना एकादशी |
28 नवंबर, 2024 | गुरुवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
29 नवंबर, 2024 | शुक्रवार | मासिक शिवरात्रि |
01 दिसंबर, 2024 | रविवार | मार्गशीर्ष अमावस्या |
11 दिसंबर, 2024 | बुधवार | मोक्षदा एकादशी |
13 दिसंबर, 2024 | शुक्रवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
15 दिसंबर, 2024 | रविवार | धनु संक्रांति,मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत |
मार्गशीर्ष मास में जन्म लेने वाले लोगों के गुण
मार्गशीर्ष मास में जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व और स्वभाव में कई विशेष गुण होते हैं। इस मास का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है, जो इसे विशेष बनाता है। इस माह में जन्म लेने वाले लोग धार्मिक और आध्यात्मिक होते हैं। वे पूजा-पाठ, ध्यान, और योग में रुचि रखते हैं और अक्सर जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रयासरत रहते हैं। इस माह में जन्मे व्यक्ति धैर्यवान होते हैं। वे समस्याओं और कठिनाइयों का सामना धैर्यपूर्वक करते हैं और कभी भी हार नहीं मानते। उनकी सहनशीलता उन्हें जीवन में सफल बनाती है।
इनके स्वभाव में सौम्यता और प्रेम की भावना होती है। वे दूसरों के साथ विनम्रता से पेश आते हैं और किसी की भी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। उनके आसपास के लोग उनके साथ सहज महसूस करते हैं। ये लोग नैतिकता और ईमानदारी के पथ पर चलते हैं। साथ ही, सच्चाई और धर्म का पालन करने में विश्वास रखते हैं और जीवन में नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं।
इसके अलावा, मार्गशीर्ष में जन्मे लोग कला और रचनात्मकता में भी निपुण होते हैं। उन्हें संगीत, नृत्य, लेखन, चित्रकला जैसी कलाओं में रुचि होती है और वे अपने रचनात्मक गुणों से जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं। ये लोग आर्थिक रूप से सफल होने का प्रयास करते हैं और उन्हें धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी देवी की कृपा इन पर बनी रहती है और वे जीवन में समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर रहते हैं।
मार्गशीर्ष मास में भगवान कृष्ण की पूजा का महत्व
मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। भगवान श्रीकृष्ण को धर्म और सत्य का प्रतीक माना जाता है। इस मास में उनकी पूजा करने से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाता है और धर्म के अनुसार जीवन जीने का संकल्प लेता है। मार्गशीर्ष मास में गीता जयंती जैसे पर्व आते हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उपदेशों से जुड़े हुए हैं। इन पर्वों पर उनकी पूजा, गीता का पाठ और गौ सेवा करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और भगवान की कृपा सुलभ होती है।
मार्गशीर्ष मास ध्यान और साधना के लिए उत्तम समय माना जाता है। इस मास में श्रीकृष्ण का ध्यान, मंत्र जाप करना मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति प्रदान करता है। इस मास में भगवान कृष्ण की लीलाओं का स्मरण और श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना विशेष फलदायी होता है। गीता के उपदेश जीवन में सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और व्यक्ति को धर्म, कर्म, और मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
मार्गशीर्ष मास में भगवान कृष्ण को तुलसी दल और दूध से स्नान कराकर उनकी पूजा करें। उन्हें माखन और मिश्री का भोग अर्पित करें। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
मार्गशीर्ष मास के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
- इस मास में भगवान श्रीकृष्ण की आराधना और भक्ति करें। तुलसी दल और दूध से स्नान कराकर उन्हें ताजे फल, माखन-मिश्री और फूल अर्पित करें। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- मार्गशीर्ष मास में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इस मास में सेवा और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और धन का दान करें। गौ सेवा करें और पीपल के वृक्ष की पूजा करें।
- मार्गशीर्ष मास के दौरान सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक और राजसिक भोजन से परहेज करें।
- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ मार्गशीर्ष मास में विशेष पुण्यदायी होता है। गीता के उपदेशों को समझने और उनके अनुसार जीवन जीने का संकल्प लें। यह आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का श्रेष्ठ समय है।
- इस मास में गंगा स्नान या किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है। यदि संभव न हो, तो घर में स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- इस पवित्र मास में क्रोध, ईर्ष्या, और द्वेष जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें। शांत और सकारात्मक रहने का प्रयास करें।
मार्गशीर्ष माह में इन मंत्रों का करें जाप
मार्गशीर्ष माह में नीचे दिए गए मंत्र का जाप करने से भगवान कृष्ण के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है और मन को शांति मिलती है। इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार जपना शुभ माना जाता है।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
यह महामंत्र भगवान श्रीकृष्ण और भगवान राम की भक्ति का प्रमुख मंत्र है। इस मंत्र का जाप मार्गशीर्ष मास में करने से मन की शुद्धि होती है और भक्त को भगवान की भक्ति में लीन होने का अवसर मिलता है।
ॐ श्री कृष्णाय नमः
यह सरल और शक्तिशाली मंत्र भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसे प्रतिदिन जपने से भगवान की कृपा, सुख, और शांति की प्राप्ति होती है। इस मंत्र का जाप सुबह-सुबह स्नान के बाद करना शुभ होता है।
ॐ विष्णवे नमः
यह मंत्र भगवान विष्णु को समर्पित है और उनके सभी रूपों की आराधना का प्रतीक है।
गोविंद दामोदर माधवेति
यह मंत्र भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न नामों का स्मरण कराता है।
ॐ नमो नारायणाय
यह मंत्र भगवान विष्णु के स्वरूप नारायण की आराधना का प्रतीक है। इसका जाप मार्गशीर्ष मास में करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।
ॐ शांति: शांति: शांति:
यह शांति मंत्र है, जो मन, शरीर और आत्मा की शांति के लिए जपा जाता है। इसे मार्गशीर्ष मास में जपने से जीवन में सकारात्मकता और शांति आती है।
मार्गशीर्ष महीने में राशि अनुसार करें ये ख़ास उपाय
मेष राशि
इस राशि के लोग भगवान श्रीकृष्ण को पीले फूल और ताजे फल अर्पित करें। साथ ही, प्रतिदिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे करियर में उन्नति और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होगी।
वृषभ राशि
भगवान कृष्ण को तुलसी और दूध से स्नान कराएं। तुलसी के पौधे की पूजा करें और शुक्रवार के दिन भगवान को माखन-मिश्री का भोग लगाएं। इससे स्वास्थ्य में सुधार आएगा और परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी।
मिथुन राशि
“हरे कृष्ण हरे राम” मंत्र का प्रतिदिन जाप करें। बुधवार के दिन गरीबों को हरे वस्त्र या फल दान करें। यह उपाय आपके मानसिक तनाव को दूर करेगा और समृद्धि लाएगा।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों को भगवान श्रीकृष्ण को सफेद चंदन से स्नान कराना चाहिए और सफेद वस्त्र अर्पित करना चाहिए। सोमवार को चंद्रमा के मंत्र “ॐ सोमाय नमः” का जाप करें। इससे आपके पारिवारिक जीवन में शांति और प्रेम बना रहेगा।
सिंह राशि
“ॐ श्री कृष्णाय नमः” मंत्र का जाप करें और रविवार को भगवान को गुड़ और गेहूं का भोग लगाएं। इससे करियर में सफलता और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
कन्या राशि
भगवान श्रीकृष्ण को घी और शहद से स्नान कराएं और गुरुवार के दिन भगवान को केले का भोग लगाएं। “ॐ विष्णवे नमः” मंत्र का जाप करने से आर्थिक उन्नति होगी और व्यापार में लाभ मिलेगा।
तुला राशि
इस राशि के लोग भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल अर्पित करें और शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजन करें। “ॐ महालक्ष्म्यै नमः” का जाप करें।
वृश्चिक राशि
भगवान कृष्ण को लाल वस्त्र अर्पित करें और मंगल के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही, इस मंत्र “ॐ हनुमते नमः” का भी जाप करें। इससे साहस और शक्ति प्राप्त होगी।
धनु राशि
गुरुवार को भगवान श्रीकृष्ण को पीला चंदन और तुलसी पत्र अर्पित करें। इस दौरान “ॐ नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करें। यह उपाय धार्मिक उन्नति और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होगा।
मकर राशि
शनिवार के दिन भगवान कृष्ण को नीले पुष्प अर्पित करें और गरीबों को भोजन कराएं। “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें। इससे कार्यक्षेत्र में सफलता और जीवन में स्थिरता प्राप्त होगी।
कुंभ राशि
भगवान श्रीकृष्ण को काले तिल और शुद्ध जल से स्नान कराएं। “ॐ वासुदेवाय नमः” का जाप करें। शनिवार को किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान दें। इससे मानसिक शांति और आर्थिक लाभ प्राप्त होगा।
मीन राशि
भगवान कृष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। गुरुवार को पीपल के वृक्ष की पूजा करें। इससे आध्यात्मिक उन्नति होगी और स्वास्थ्य में सुधार आएगा।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मार्गशीर्ष माह का आरंभ 16 नवंबर 2024 शनिवार को होगा जिसकी समाप्ति 15 दिसंबर 2024 रविवार को हो जाएगी।
मार्गशीर्ष माह में भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान है।
यह हिंदी कैलेंडर का 9वां महीना होता है।
मार्गशीर्ष का महीना कृष्ण भक्तों के लिए विशेष है। कहते हैं इस महीने में जप, तप और ध्यान से हर बिगड़े काम बन जाते हैं।