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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
kundli41
2023
Pt.durgesh
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रावण का बहुत-सी कन्याओं और स्त्रियों का हरण करना तथा उनसे शापित होना 

 
 वहां से लौटते समय दुरात्मा रावण के मार्ग के राजर्षियों, देवताओं और दानवों की कन्याएं हरण करता हुआ लंका में आया | जिसकी भी दर्शनीय कन्या सुंदरी स्त्री को मार्ग में देखता, उसके बंधुजनों को मारकर उसे हरकर अपने विमान में बैठा लेता | इस प्रकार उसने कितनी ही राक्षसों, असुरों, मनुष्यों, पन्नगों और यक्षों की कन्याएं अपने विमान में बैठा ली | वे बेचारी दुखी हो शोकार्त भयोत्पन्न अग्नि ज्वाला सी अश्रुधारा बहाती थी | 
 
     एक नहीं सैकड़ों ही कन्याएँ शोक संतप्त ऐसा ही अश्रु प्रवाहित कर रही थी | उनके शोक और विलाप का वर्णन नहीं हो सकता | उस सब कन्याओं और स्त्रियों ने भी रावण को यही शाप दिया कि ‘यह दुर्मति पर स्त्री के कारण ही मारा जावे |’ उन पतिव्रताओं के मुख से यह वाक्य निकला ही था कि, आकाश में दुन्दुभी बज उठी और पुष्पों की वर्षा भी हुई | फिर तो उन स्त्रियों के शाप से रावण का पराक्रम नष्ट हो गया और उसकी कांति मंद पद गई | 
 
     उन पतिव्रताओं के शाप को सुन रावण उदास हो गया | इस प्रकार वह उनके विलाप और शाप सुनता हुआ लंका में आया | निशाचरों ने बड़ा स्वागत किया | परन्तु वह ज्योहीं वहां पहुंचा कि, त्योहीं उसकी बहिन उसके समक्ष आकर सहसा पृथ्वी पर गिर पड़ी | रावण ने बहिन को उठाया और परिसान्त्वना देकर पूछा कि-क्या बात हैं ? 
 
     तब उस राक्षसी ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से उसकी और देखकर कहा कि तुम्हारे चौदह सहस्र कालकेय दैत्यों को मारने के समय मेरे पति को भी शत्रु समझकर मार डाला | अत: तू मेरा नाम मात्र का ही भाई हैं | हे राजन तेरे कारण तुझे वैधव्य भोगना पड़ेगा | तब रावण ने उसे उठाकर धैर्य बंधाया और कहा-बहिन युद्ध में मुझे अपने और पराए का कुछ ज्ञान न था, जिससे तेरा स्वामी मेरे हाथ से मारा गया | 
 
     अब तू अपने ऐश्वर्यवान भ्राता खर के पास जाकर रह | तेरा वह भाई खर अब से चौदह हजार राक्षसों का स्वामी होगा | वह तेरी सब आज्ञाओं का नित्य पालन करेगा; इसके पश्चात खर चौदह हजार भयानक राक्षसों को साथ ले तत्क्षण ही दंडकवन को प्रस्थित हुआ | और वहां पहुँच कर निष्कंटक राज्य करने लगा शूर्पणखा भी वहीं चली गई | 
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