Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

News & Update

ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

Omasttro.in

heler
kundli41
2023
Pt.durgesh
previous arrow
next arrow
Omasttro

देवताओं और राक्षसों का युद्ध तथा सुमाली वध

 
 
      इसके बाद कैलाश पर्वत को लांघकर महातेजस्वी दशानन समस्त सेना सहित इन्द्रलोक में जा पहुंचा | रावण के आक्रमण से इंद्र का सिंहासन डगमगा गया | फिर तो आदित्य, आठों वसु, ग्यारहों रूद्र साध्यगण तथा उनचासों देवताओं सहित उसे युद्ध करने चले | 
 
     इधर स्वयं इंद्र भयभीत हो विष्णुजी के पास पहुंचे | ब्रह्माजी के वरदान की सब बात कह उचित मार्ग से प्रस्थान की प्रार्थना की | उन्हें उनसे युद्ध करने की भी प्रेरणा दी | विष्णुजी ने कहा-अवश्य ही ब्रह्माजी से वरदान पाकर रावण इस समय बड़ा ही दुर्जय हैं | 
 
     तुम उससे युद्ध कर कदापि विजयी नहीं हो सकते और में ही इस समय उससे युद्ध करूंगा | क्योंकि शत्रु का वध किए विना विष्णु कभी समरभूमि से नहीं आते | किन्तु रावण वरदान के बल से सुरक्षित हैं | इससे अभी मेरा अभीष्ट पूर्ण नहीं होगा | तथापि मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि, मैं ही इस राक्षस की मृत्यु का कारण होऊंगा | 
 
     मैं ही इसे सपरिवार मारकर देवताओं को प्रसन्न करूंगा | परन्तु अभी समय की अपेक्षा हैं | तुम जाकर देवताओं सहित उससे निर्भय युद्ध करो | फिर तो ग्यारहों रुद्रादि सबने कवच धारण कर राक्षसों पर आक्रमण किया | प्रात: काल से ही भयंकर युद्ध आरंभ हो गया | राक्षसों की अपार अक्षयवाहिनी को देख देवता व्यग्र हो गए | तदनंतर विविध आयुधधारी देवताओं, राक्षसों और दानवों का घोर तुमुल युद्ध आरम्भ हो गया | 
 
     रावण के शूरवीर और म्न्त्रिगन युद्ध करने लगे | उन्होंने भीषण प्रहार कर देवताओं की सेना को मार गिराया | वे दशों दिशाओं में भाग चले | तब अपनी सेना को भागते देख अष्टम वसु, सवित्र, त्वष्टा और पूषा तथा आदित्य देव ने बड़े साहस के साथ राक्षसों का सामना किया | युद्ध होने लगा | अब देवताओं की मार से राक्षसों की सेना त्रस्त होने लगी | यह देख राक्षस सुमाली बड़े क्रोध से उनसे युद्ध करने आया | 
 
     देवसेना नष्ट होने लगी | उसने इन देवताओं को भी मार भगाया | परन्तु सवित्र वसु फिर अपनी प्रचण्ड रथवाहिनी ले उस पर टूट पड़े | उन्होंने सुमाली के वेग को रोक दिया | सुमाली और वसु का रोमाञ्चकारी युद्ध होने लगा | फिर तो महाबली वसु ने अपने महाबाण मारकर उसके सर्परथ को खण्ड-खण्ड कर गिरा दिया, फिर अपनी प्रचण्ड गदा के प्रहार से उन्होंने उसे मार ही डाला तथा और भी जितने आए उन सबका उन्होंने गदा से मारकर स्संहार किया |  
error: Content is protected !!
Join Omasttro
Scan the code
%d bloggers like this: