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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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Category: श्री रूद्र संहिता तृतीय खण्ड 

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( इकतालीसवां अध्याय ) मंडप वर्णन व देवताओं का भय 

         ब्रह्माजी बोले-हे मुनिश्रेष्ठ नारद! तुम भी भगवान शिव की बारात में सहर्ष शामिल हुए थे |…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( चालीसवां अध्याय ) भगवान शिव की बारात का हिमालय पुरी की और प्रस्थान 

         ब्रह्माजी बोले-हे मुनिश्रेष्ठ नारद! भगवान शिव ने कुछ गणों को वहीं रुकने का आदेश देते हुए…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( उन्तालीसवां अध्याय ) शिवजी का देवताओं को निमंत्रण भेजना 

         नारद जी बोले-हे महाप्रज्ञ! हे विधाता! आपको नमस्कार हैं | अपने अपने श्रीमुख से मुझे अमृत…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड (अडतीसवां अध्याय)  विश्वकर्मा द्वारा दिव्य मंडप की रचना 

           ब्रह्माजी बोले-हे मुनिश्रेष्ठ नारद! शैलराज हिमालय ने अपने नगर को बारात के स्वागत के लिए…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( सैंतीसवां अध्याय ) हिमालय का लग्न पत्रिका भेजना 

         नारद जी ने पूछा-हे तात! महाप्राज्ञ! कृपा कर अब आप मुझे यह बताइए कि सप्तऋषियों के…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड (छत्तीसवां अध्याय)  सप्तऋषियों का शिव के पास आगमन 

           ब्रह्माजी बोले-हे मुनिश्रेष्ठ नारद! शैलराज हिमालय और मैना से विदा लेकर सप्तऋषि भगवान शिव के…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड (पैंतीसवां अध्याय)  हिमालय का शिवजी के साथ पार्वती के विवाह का निश्चय करना 

         ब्रह्माजी बोले-नारद! महर्षि वशिष्ठ ने, राजा अनरण्य की पुत्री पद्मा और ऋषि पिप्पलाद के विवाह तथा…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( चौतीसवां अध्याय ) पद्मा-पिप्पलाद की कथा 

         ब्रह्माजी बोले-नारद जी! शैलराज हिमालय राजा अनरण्य की कथा सुनकर बोले कि हे मुनि वशिष्ठ! आपने…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( तेंतीसवां अध्याय ) अनरण्य राजा की कथा 

         ब्रह्माजी बोले-हे नारद! कुल की रक्षा करने के लिए किसी एक का त्याग कर देना ही…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( बत्तीसवां अध्याय ) वशिष्ठ मुनि का उपदेश 

         ब्रह्माजी बोले-हे नारद! हिमालय के कहे वचनों को सुनकर महर्षि वशिष्ठ बोले-हे शैलराज! भगवान शंकर इस…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( इक्त्तीसवां अध्याय ) सप्तऋषियों का आगमन और हिमालय को समझाना 

         ब्रह्माजी बोले-ब्राह्मण के रूप में पधारे स्वयं भगवान शिव की बातों का देवी मैना पर बहुत…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( तीसवां अध्याय  ब्राह्मण वेश में पार्वती के घर जाना 

         ब्रह्माजी बोले-हे नारद! गिरिराज हिमालय और देवी मैना के मन में भगवान शिव के प्रति भक्ति…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( उनतीसवां अध्याय ) शिवजी द्वारा हिमालय से पार्वती को मांगना 

         ब्रह्माजी बोले-हे महामुनि नारद! भगवान शिव के वहां से अंतर्धान हो जाने के उपरांत देवी पार्वती…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( अट्ठाईसवां अध्याय ) शिव-पार्वती संवाद 

     ब्रह्माजी कहते हैं-नारद! परमेश्वर भगवान शिव की बातें सुनकर और उनके साक्षात स्वरूप का दर्शन पाकर देवी पार्वती…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( सत्ताईसवां अध्याय ) पार्वती जी का क्रोध से ब्राह्मण को फटकारना 

       पार्वती बोली-हे ब्राह्मण देवता! मैं तो आपको परम ज्ञानी महात्मा समझ रही थी परन्तु आपका भेद मेरे…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( छब्बीसवां अध्याय ) पार्वती को शिवजी से दूर रहने का आदेश 

          पार्वती बोली-हे जटाधारी मुनि! मेरी सखी ने जो कुछ भी आपको बताया हैं, वह बिलकुल सत्य…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( पच्चीसवां अध्याय ) शिवजी द्वारा पार्वती जी की तपस्या की परीक्षा करना 

         ब्रह्माजी बोले-हे मुनिश्रेष्ठ नारद! सप्तऋषियों ने पार्वती जी के आश्रम से आकर त्रिलोकीनाथ भगवान शिव को…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( चौबीसवां अध्याय ) सप्त ऋषियों द्वारा पार्वती की परीक्षा 

       ब्रह्माजी कहते हैं-देवताओं ने अपने-अपने निवास पर लौट जाने के उपरांत भगवान शिव पार्वती की तपस्या की…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( तेईसवां अध्याय ) शिव से विवाह करने का अनुरोध

         ब्रह्माजी कहते हैं-हे नारद! देवताओं ने वहां पहुंचकर भगवान शिव को प्रणाम करके उनकी स्तुति की | वहां…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( बाईसवां अध्याय ) देवताओं का शिवजी के पास जाना 

         ब्रह्माजी कहते हैं-मुनिश्वर! भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए पार्वती को तपस्या…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( इक्कीसवां अध्याय ) पार्वती की तपस्या 

         ब्रह्माजी बोले-हे देवर्षि नारद! जब तुम पंचाक्षर मंत्र का उपदेश देकर उनके घर से चले आए…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( बीसवां अध्याय ) शिवजी के बिछोह से पार्वती का शोक

         ब्रह्माजी कहते हैं-नारद! जब भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर उसकी अग्नि से कामदेव को…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( उन्नीसवां अध्याय ) शिव क्रोधाग्नि की शांति

         ब्रह्माजी बोले-हे नारद जी! जब भगवान शंकर ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर उसकी अग्नि से कामदेव…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( अठारहवां अध्याय ) कामदेव का भस्म होना 

       ब्रह्माजी बोले-हे मुनि नारद! कामदेव अपनी पत्नी रति और वसंत ऋतु को अपने साथ लेकर हिमालय पर्वत…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( सत्रहवां अध्याय ) कामदेव का शिव को मोहने के लिए प्रस्थान 

         ब्रह्माजी बोले-नारद! स्वर्ग में सब देवता मिलकर सलाह करने लगे कि किस प्रकार से भगवान रूद्र…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( सोलहवां अध्याय ) तारक का स्वर्ग त्याग 

       ब्रह्माजी बोले-नारद जी! सभी देवता तारकासुर के डर के कारण मारे-मारे इधर-उधर भटक रहे थे | इंद्र…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( पन्द्रहवां अध्याय ) तारकासुर का जन्म व उसका तप       

       ब्रह्माजी बोले-हे मुनिश्रेष्ठ नारद! कुछ समय बाद वज्रांग की पत्नी गर्भवती हो गई | समय पूर्ण होने…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( चौदहवां अध्याय ) वज्रांग का जन्म एवं पुत्र प्राप्ति का वर मांगना 

         नारद जी कहने लगे-ब्रह्माजी! तारकासुर कौन था ? जिसने देवताओं को भी पीड़ित किया | उन्हें…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( तेरहवां अध्याय ) पार्वती-शिव का दार्शनिक संवाद 

         भगवान शंकर के वचन सुनकर पार्वती जी बोली-योगीराज! आपने जो कुछ भी मेरे पिताश्री गिरिराज हिमालय से…

श्री रूद्र संहिता तृतीय खंड ( बारहवां अध्याय ) पार्वती को सेवा में रखने के लिए हिमालय का शिव को मनाना 

         ब्रह्माजी बोले- हे मुनि नारद! तत्पश्चात हिमालय अपनी पुत्री पार्वती को साथ लेकर शिवजी के पास…

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