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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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हिन्दू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। इस वर्ष यानी कि 2022 में यह तिथि 13 जुलाई, 2022 को पड़ रही है। इस दिन विशेष रूप से गुरु की पूजा की जाती है क्योंकि गुरु ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति होते हैं, जो हमें ज्ञान प्रदान करते हैं या यूं कहें कि अंधेरे से उजाले की ओर ले जाते हैं। संत कबीर ने भी कहा है कि,

गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय|

बलिहारी गुरु आपने| गोविंद दियो बताय||

अर्थात: जब गुरु और गोविंद यानी कि भगवान एक साथ खड़े हों तो पहले किसे प्रणाम करना चहिए? ऐसी स्थिति में गुरु के चरण पहले स्पर्श करने चाहिए क्योंकि गुरु के ज्ञान से ही भगवान के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

कबीर दास जी का यह दोहा सिर्फ़ एक दोहा नहीं है बल्कि हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति में गुरु के महत्व का सार भी है। इसके अलावा हमने एकलव्य और भगवान परशुराम की कहानियां भी सुनी हैं, जिनमें गुरुओं के प्रति उनके सम्मान और सच्ची निष्ठा को दर्शाया गया है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

मान्यता है कि पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व महर्षि वेदव्यास जी, जिन्हें ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों का रचयिता भी माना जाता है, उनका जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था। कहा जाता है कि मनुष्य को सबसे पहले वेदों की शिक्षा महर्षि वेदव्यास ने ही दी थी, इसलिए हिन्दू धर्म में उन्हें प्रथम गुरु का दर्जा दिया गया है। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास पराशर ऋषि के पुत्र थे तथा वे तीनों लोकों के ज्ञाता थे। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यह जान लिया था कि कलयुग में लोगों के अंदर धर्म के प्रति आस्था कम हो जाएगी, जिसके कारण मनुष्य नास्तिक, कर्तव्य से विमुख और अल्पायु हो जाएगा इसलिए महर्षि वेदव्यास ने वेद को चार भागों में विभाजित कर दिया ताकि जो लोग बुद्धि से कमज़ोर हैं या जिनकी स्मरण शक्ति कमज़ोर है, वे लोग भी वेदों का अध्ययन कर लाभान्वित हो सकें।

व्यास जी ने वेदों को अलग-अलग करने के बाद उनका नाम क्रमशः ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। वेदों को इस प्रकार विभाजित करने के कारण जी वे वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए। इसके बाद उन्होंने इन चारों वेदों का ज्ञान अपने प्रिय शिष्यों वैशम्पायन, सुमन्तुमुनि, पैल और जैमिन को दिया।

वेदों में मौजूद ज्ञान अत्यंत रहस्यमयी और कठिन था, इसलिए वेद व्यास जी ने पांचवें वेद के रूप में पुराणों की रचना की, जिनमें वेदों के ज्ञान को रोचक कहानियों के रूप में समझाया गया है। उन्होंने पुराणों का ज्ञान अपने शिष्य रोमहर्षण को दिया। इसके बाद वेदव्यास जी के शिष्यों ने अपनी बुद्धि के बल पर वेदों को अनेक शाखाओं और उप-शाखाओं में विभाजित किया। वेदव्यास जी हमारे आदि-गुरु भी माने जाते हैं, इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरुओं को वेदव्यास जी का अंश मानकर, उनकी पूजा करनी चाहिए।

गुरु पूर्णिमा 2022: तिथि व समय
दिनांक: 13 जुलाई, 2022

दिन: बुधवार

हिंदी महीना: आषाढ़

पक्ष: शुक्ल पक्ष

तिथि: पूर्णिमा

पूर्णिमा तिथि आरंभ: 13 जुलाई, 2022 को 04:01:55 से

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 जुलाई, 2022 को 00:08:29 तक

 

 

गुरु पूर्णिमा पूजन विधि

  • गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी सोकर उठें।
  • इसके बाद अपने घर की साफ-सफाई करने के बाद, नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
  • फिर किसी साफ-स्वच्छ स्थान या पूजा करने के स्थान पर एक सफेद कपड़ा बिछाकर व्यास पीठ का निर्माण करें और वेदव्यास जी की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
  • इसके बाद वेदव्यास जी को रोली, चंदन, फूल, फल और प्रसाद आदि अर्पित करें।
  • गुरु पूर्णिमा के दिन वेदव्यास जी के साथ-साथ शुक्रदेव और शंकराचार्य आदि गुरुओं का भी आह्वान करें और ‘गुरुपरंपरा सिद्धयर्थं व्यास पूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें।
  • इस दिन केवल गुरु का ही नहीं बल्कि परिवार में आपसे जो भी बड़ा है मतलब कि माता-पिता, भाई-बहन आदि को गुरु तुल्य मानकर उनका सम्मान करें तथा आशीर्वाद लें।

 

 

गुरु पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले कुछ ज्योतिषीय उपाय

  • जिन छात्रों की पढ़ाई में बाधाएं आ रही हैं या मन भ्रमित हो रहा है, उन्हें गुरु पूर्णिमा के दिन गीता पढ़नी चाहिए। यदि गीता पाठ करना संभव न हो तो गाय की सेवा करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से पढ़ाई में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।
  • धन प्राप्ति के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की जल में मीठा जल चढ़ाएं। मान्य है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
  • वैवाहिक जीवन में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन पति और पत्नी दोनों मिलकर चंद्र दर्शन करें और चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें।
  • सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गुरु पूर्णिमा की शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं।
  • कुंडली में गुरु दोष से मुक्ति पाने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन “ऊँ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप अपनी इच्छा और श्रद्धानुसार 11, 21, 51 या 108 बार करें। इसके अलावा 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • ख़ुद का ज्ञान बढाने के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें।
    1: ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:।
    2: ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
    3: ॐ गुं गुरवे नम:।

गुरु पूर्णिमा के दिन हो रहा है एन्द्र योग का निर्माण
मान्यताओं के अनुसार, यदि आपका कोई काम राज्य पक्ष से रुका हुआ है तो एन्द्र योग में प्रयास करने से सफलता प्राप्त होती है। ऐसे प्रयास केवल सुबह, दोपहर और शाम तक ही करने चाहिए।

एन्द्र योग आरंभ: 12 जुलाई, 2022 की शाम 04 बजकर 58 मिनट से

एन्द्र योग समाप्त: 13 जुलाई, 2022 की दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक



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