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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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ज्योतिष के नजरिए से देखें तो होलाष्टक के दिनों में वातावरण में नकारात्मकता का असर रहता है.

फाल्गुन के महीने का खुमार चढ़ने लगा है. होली का त्योहार नजदीक ही है. होलिका दहन 17 मार्च और धुलेंडी 18 मार्च 2022 को पड़ रही है, लेकिन होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाता है. यह कल यानी जो कि 10 मार्च से शुरू हो जाएगा. ये फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लग जाता है. 10 मार्च 2022 से 17 मार्च 2022 के बीच कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होगा. होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं.

ये है ज्योतिष कारण
सवाल उठता है कि होलाष्टक के दौरान मांगलिक कार्य क्यों वर्जित रहते हैं. ज्योतिष के नजरिए से देखें तो होलाष्टक के दिनों में वातावरण में नकारात्मकता का असर रहता है. सभी ग्रहों इन दिनों गलत तरीके से असर डालते हैं. ग्रह शास्त्र कहता है कि अष्टमी तिथि को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु की ऊर्जा नकारात्मकता से भरी रहती है. इसका असर व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता पर भी पड़ता है.

कामदेव की भी है कथा
प्रेम के देवता कामदेव ने शिवजी की तपस्या भंग कर दी थी, जिससे क्रोधित होकर शिव ने उन्हें भस्म कर दिया. यह घटना फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को घटी. तब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी से कामदेव को पुन: जीवित कर देने की प्रार्थना की. उन्होंने लगातार आठ दिनों तक शिवजी की प्रसन्नता के लिए कठिन तप किया. इसपर भगवान शिव ने रति की प्रार्थना स्वीकार करते हुए कामदेव को पुन: जीवित किया.

पूर्णिमा की तिथि
पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 1 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 18 मार्च 2022 को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 17 मार्च को रात 09 बजकर 20 मिनट से देर रात 10 बजकर 31 मिनट तक है. यानी होलिका दहन की कुल अवधि 01 घंटा 10 मिनट की है.

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