Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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     जप तीन प्रकार का होता हैं | १. वाचिक, २. उपांशु तथा ३. मानसिक | १. जिस जप में मंत्र का उच्चारण दूसरे को भी सुनाई पड़े उसे वाचिक जप कहते हैं | 
 
     २. जो दूसरे को और अपने को भी स्वयं सुनाई न पड़े उसे उपांशु जप कहते हैं | ३. जिसमे जिह्वा, दांत तथा ओष्ठ का हिलना न दिखाई दे, मंत्र के अक्षरों को केवल मन में ही चिंतन किया जाए उसे मानस जप कहते हैं | मानस का ही विशेष अभ्यास हो जाने पर अजपा जाप के नाम से ऋषियों ने पुकारा हैं | 
 
     पराभिचार (मारण प्रयोग) में वाचिक जप करे अर्थात मंत्रों का जोर-जोर से उच्चारण करे, शांति एवं पुष्टि कर्म में उपांशु अर्थात दूसरे को सुनाई न दे तथा मोक्ष एवं ज्ञान-प्राप्ति के निमित्त मानस जप करे | 
 
     काले जीरे के चूर्ण के अंजन से घोड़े अंधे हो जाते हैं | यदि उनकी आंखों को मट्ठे से धो दे तो फिर पहले की भांति देखने लगते हैं | 
 
     छछुंदर का चूर्ण घोड़े की नाक में डाल देने से घोडा मूर्छित हो जाता हैं तथा जल में चन्दन घिस कर पुनः नाक में पुनः नाम में डाल देने से स्वस्थ हो जाता हैं | 
 
     घोड़े की हड्डी की सात अंगुल की कील बना अश्विनी नक्षत्र ओन पर घोड़साल में गाड़ दे तो घोड़े मरने लगते हैं | 
 
     अश्व मारण मंत्र:- ॐ अश्वं पच पच स्वाहा |
     (अयुत-जपात् सिद्धि:)
 
     उक्त मंत्र दस हजार जपने से सिद्ध होता हैं, उपरोक्त कील इसी से अभिमंत्रित करके घोड़साल में गाड़े | 
 
     बेर के काष्ठ की आठ अंगुल की कील पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में यदि मल्लाह के घर में गाड़ दे तो उसकी सब मछलियां नष्ट हो जाएंगी | 
 
     मत्स्यनाशनमंत्र:-ॐ जले पच पच स्वाहा | 
     (इत्येनन मन्त्रेणायुतजपात् सिद्धि:)
 
     यह मंत्र दस हजार जपने पर सिद्ध होता हैं | इसी मंत्र से अभिमंत्रित कर कील गाडनी चाहिए | 
 
     चमेली (फूल) की लकड़ी की आठ अंगुल की कील पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में निम्नलिखित मंत्र से सौ बार अभिमंत्रित करके धोबी के घर में गाड़ने से उसके सब वस्त्र नष्ट हो जाते हैं | 
 
     मंत्र-ॐ कुम्भं स्वाहा | 
     (अयुत्-जपात् सिद्धिर्भवति)
 
     यह मंत्र दस हजार जपने से सिद्ध होता हैं | 
 
     महुआ के काष्ठ की चार अंगुल की कील चित्र नक्षत्र में तेल पेरने के स्थान पर गाड़ देने से सम्पूर्ण तेल विनष्ट हो जाता हैं | 
 
     तेलनाशमंत्र:-‘ॐ दह दह स्वाहा’ (इत्यनेन सहस्त्रसंख्याकजप:)
 
     यह मंत्र एक हजार जपने से सिद्ध होता हैं | उपरोक्त कील इस मंत्र से अभिमंत्रित करके ही गाड़े |
 
     गंधक का चूर्ण पानी में घोलकर शाक के ऊपर छिड़क देने से सब शाक नष्ट हो जाता हैं, यह प्रयोग बिना मंत्र का हैं | 
 
     जामुन की लकड़ी की आठ अंगुल की कील अहीर के घर में जहां गायें दूही जाती हो वहां अनुराधा नक्षत्र में गाड़ देने से गायों का दूध सूख जाता हैं, यह प्रयोग बिना मंत्र का हैं | 
 
     सफ़ेद मदार की लकड़ी की सोलह अंगुल की कील कृत्तिका नक्षत्र में मदिरा उतारने वाले के घर में गाड़ देने से मदिरा नष्ट हो जाती हैं | यह भी प्रयोग बिना मंत्र का हैं | 
 
     सोपाड़ी के लकड़ी की नव अंगुल की कील शतभिषा नक्षत्र में तमोली के घर में या खेत में गाड़ देने से उसके पान नष्ट हो जाते हैं | 
 
     भगवान शंकर बोले कि, हे राक्षसराज रावण! मैं खेती के विनाश की विधि संक्षेप में कहता हूं कि, जिस क्रिया को करने मात्र से अन्न के फसलों का सम्यक् विनाश होगा | 
 
     जहां पर आकाश से बिजली गिरी हो वहां की मिट्टी लाकर एक वज्र बनावे तथा निम्नलिखित मंत्र से अभिमंत्रित कर जिस खेत में गाड़ दे उसकी फसल विनष्ट हो जाएगी |
 
     सस्यनाशनमंत्र:-ॐ नमो वज्रपाताव सुरपतिराज्ञापयति हुं फट् स्वाहा | 
     
     यह मंत्र दस हजार जपने से सिद्ध होता हैं | 
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