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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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कामिका एकादशी व्रत मुहूर्त  

कामिका एकादशी पारणा मुहूर्त :
05:32:15 से 08:18:03 तक 14, जुलाई को
अवधि :
2 घंटे 45 मिनट
 
 

कामिका एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरुप की पूजा की जाती है। इस एकादशी के व्रत को करने से पूर्वजन्म की बाधाएं दूर होती हैं। इस पवित्र एकादशी के फल लोक और परलोक दोनों में उत्तम कहे गये हैं। क्योंकि इस व्रत को करने से हजार गौ दान के समान पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

कामिका एकादशी व्रत पूजा विधि

एकादशी के दिन किया जाने वाला व्रत समस्त पाप और कष्टों को नष्ट करके हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्रदान करता है। कामिका एकादशी व्रत की विधि इस प्रकार है:

1.इस दिन प्रात:काल स्नान से निवृत्त होकर पहले व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा प्रारंभ करें|
2.  पूजन में प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें।
3.  व्रत वाले दिन भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें|
5.  एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देकर विदा करें| इसके पश्चात ही भोजन ग्रहण करें।

कामिका एकादशी का महत्व

कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस व्रत के प्रभाव से सबके बिगड़े काम बनने लगते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से भक्तों के साथ उनके पितृों के कष्ट भी दूर हो जाते हैं। कामिका एकादशी के अवसर पर तीर्थ स्थानों पर नदी, कुंड, सरोवर में स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।

श्री विष्णुजी को यदि संतुष्ट करना हो तो उनकी पूजा तुलसी पत्र से करें| ऐसा करने से ना केवल प्रभु प्रसन्न होंगे बल्कि आपके भी सभी कष्ट दूर हो जाएंगे| कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है|

कामिका एकादशी व्रत कथा

महाभारत काल के समय धर्मराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से कहा, “हे प्रभु, कृपा करके मुझे कामिका एकादशी का महत्व और उसका वर्णन सुनाएं।’’ भगवान कृष्ण ने कहा कि- ‘’इस एकादशी व्रत की कथा स्वयं ब्रह्मा जी ने देवर्षि नारद को सुनाई थी, अत: मैं भी तुम्हे वही सुनाता हूं।’’

एक समय नारद जी ने ब्रह्मा जी से कामिका एकादशी की कथा सुनने की इच्छा जताई थी| ब्रह्मा जी ने कहा- “हे नारद! कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस तिथि पर शंख, चक्र एवं गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है|

गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर जैसी तीर्थ में स्नान करने से जो फल मिलता है, वह भगवान विष्णु के पूजन से भी मिलता है। पापों से भयभीत व्यक्ति को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता। इस एकादशी पर जो भी मनुष्य श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करते हैं, उन्हे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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