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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
kundli41
2023
Pt.durgesh
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 मंत्र-ॐ डं डां डिं डीं डुं डूं डें डैं डों डौं डंः डः अमुकं गृहण गृहण हुँ हुँ ठः ठः | अनेन मन्त्रेण सहस्त्रवारमभिमंत्रितं नरास्थि श्मशाने निखननेन मृत्यु: | 
 
     उपरोक्त मंत्र से दस हजार बार जिसके नाम पर अभिमन्त्रित कर मनुष्य की हड्डी श्मशान में गाडे तो उसकी मृत्यु होय |
 
     रिपु की विष्ठा (मल) तथा बिच्छू एक हंडिया में बंदकर ऊपर से मिट्टी लगाकर पृथ्वी में गाद दे तो शत्रु का मलावरोध (मल रूकने से) मरण तुल्य कष्ट पाने लगता हैं और भूमि खोदकर हंडी खोल देने से पुनः सुखी हो जाता हैं | 
 
     मंगलवार को शत्रु के पांव के नीचे की मिट्टी ला गोमूत्र में भिगोकर एक प्रतिमा (पुतली) बनावे | 
 
     जहां कोई मनुष्य न आ-जा सके ऐसे एकांत स्थान पर या नदी का किनारा हो या बनादि हो, वहाँ पर एक वेदी बना उस पर पुतली को सुला दे और उसकी छाती में एक चोखा शूल (सूजा) गाद दे, पश्चात बाम भाग में काल भैरव की स्थापना क्र प्रतिदिन बलि एवं पूजन करें | 
 
     प्रयोग स्थान पर ११ वेद पाठी ब्राह्मण-ब्रह्मचारी बटुओं (बालकों) को भोजन करावें तथा कालभैरव के समक्ष कडुआ तेल का दीपक जलावे |
 
     मूर्ति के दक्षिण (दाहिने) भाग में व्याघ्र के चर्मासन पर दक्षिण मुख बैठकर जितेन्द्रिय होकर रात्रि में निम्नलिखित मंत्र जपे |
 
     सावधान चित्त हो रात्रि काल में उक्त मंत्र का दस हजार जप करे, ऐसा करने से १९ दिनों में शत्रु का मरण होता हैं |
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