Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
kundli41
2023
Pt.durgesh
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     अब देवताओं और राक्षसों का तुमुल युद्ध होने लगा | अंधकार की उस घोर निविड़ता में इंद्र, रावण और मेघनाद-यह ही तीन सावधान रह सके | देवताओं ने राक्षसों का घोर संहार किया | यह देख रावण अत्यंत ही कुपित हुआ | उसने अपने सारथी सूत से कहा-तुम शीघ्र ही मेरा रथ देवताओं की सेना के उस पार उदयाचल तक चलाओ | 
 
     सूत जी ने शत्रु देवताओं के माध्यम से ही रथ को आगे बढ़ाया | इंद्र ने देवताओं को उत्तेजना देकर कहा-क्या कहते हो, रावण को जीवित ही पकड़ लो | क्योंकि वरदान के प्रभाव से यह मारा तो जा नहीं सकता, अत: शीघ्रता करो | देवताओं से ऐसा कह इंद्र दूसरी ओर घूमकर राक्षसों को मारने लगे | फिर तो रावण अबाध गति से उत्तर की ओर से देवसेना में प्रवेश कर गया | 
 
     इंद्र दक्षिण की ओर राक्षसों पर प्रहार कर रहे थे | रावण सौ योजन तक प्रवेश कर गया | उसने अपने प्रचण्ड बाणों से देवताओं को त्रस्त कर दिया, इनमे में दानवों और राक्षसों ने बड़ा हाहाकार किया कि, हा! हम सब मारे गए, इससे यह निश्चय हो गया कि इंद्र ने रावण को पकड़ लिया | फिर तो परम क्रोधातुर हो मेघनाद उस दारुण देवसेना पर टूट पड़ा | उसने कई उत्तम बाणों से इंद्र के सारथी को मारकर घायल कर दिया | 
 
     तब इंद्र रथ और सारथी को वहीं त्याग ऐरावत पर जा बैठे और मेघनाद को ढूंढने लगे | पर वह तो अपनी माया द्वारा अंतरिक्ष में अदृश्य हो रहा था | इंद्र उसकी माया में फंस गए | उसने उन्हें बांध लिया | यह देख देवता बड़े चिंतित हुए | यद्यपि इंद्र स्वयं अनेक प्रकार की माया जानते थे, तथापि इन्द्रजित उन्हें बलपूर्वक पकड़ ले गया | 
 
     इससे देवता परम कुपित हो रावण को ऐसा मारने लगे कि, वह रण से विमुख हो गया | अब उसकी युद्धशक्ति सर्वथा ही क्षीण हो गई | बाणों की घोर वर्षा से उसका शरीर जर्जरित हो गया | उसी समय अदृश्य रह मेघनाद अंतरिक्ष से बोला-पिताजी! आप चिंता न करें, हमने इंद्र को बांध लिया हैं | अब युद्ध समाप्त हो गया, चलिए घर चलें | हमने देवताओं का मानमर्दन कर दिया | त्रिलोकपति इंद्र को हमने बांध लिया | 
 
     यह सुन देवताओं ने युद्ध स्थगित कर दिया और इंद्र सहित वे वहां से प्रस्थान कर दिए | रावण भी अपने पुत्र की बात सुन हर्षित हो वहां से चलकर मेघनाद के साथ हो उनकी प्रशंसा करने लगा और कहा-हे पुत्र! तूने मेरे कुल और वंश का गौरव बढ़ाया | आज तूने देवताओं सहित इंद्र को जीत लिया | अच्छा, अब तू इंद्र के रथ पर चढ और अपनी सेना सहित लंका को चल | मैं भी तेरे पीछे-पीछे अपने मंत्रियों सहित हर्षित होता हुआ आता हूं | इस प्रकार मेघनाद इंद्र को पकडकर लंका में ले आया | 
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