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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
kundli41
2023
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इस प्रकार संध्या समय कैलास पर्वत के शिखर पर अपनी सेना को स्थित कर रावण स्वयं ही विश्राम करने लगा | अन्य सब सैनिक भी निद्रा विभोर हो रहे | इतने में चंद्रोदय हुआ | महापराक्रमी रावण उठकर पर्वत शिखर पर बैठकर चंद्रमा की प्रभा और वृक्षों के कारण वर्द्धित कैलास पर्वत की शोभा देखने लगा, जहां से कुबेर के भवन में गान करती हुई अप्सराओं की मधुर ध्वनि भी श्रवण गोचर हो रही थी | संगीत की तान, विविध पुष्पों की शोभा, शीतल वायु का स्पर्श, पर्वत की रमणीयता, रजनी की मधुवसा और चंद्रोदय उञ्चीपन की इन समस्त सामग्रियों के कारण रावण कामासक्त हो गया |

इसी समय सब अप्सराओं में श्रेष्ठ चंद्रमुखी रम्भा इसी मार्ग से आ निकली | उसके सुन्दर शरीर पर दिव्य वस्त्र और आभूषण शोभ रहे थे | अङ्गों दिव्य चन्दन का अनुलेप लगा रहे थे और केशपाश में पारिजात के पुष्प गुंथे हुए थे | वह दिव्य पुष्पों से दिव्य शृङ्गार करके किसी उत्सव में सम्मिलित होने जा रही थी | वह अपनी अलौकिक कांति से दूसरी लक्ष्मी के ही सदृश ज्ञात होती थी | उस समय रावण तो काम वशीभूत था ही | अत: उसने उठकर तत्क्षण ही रम्भा का हाथ पकड़ लिया |

रम्भा बहुत ही लज्जित हो गई | तथापि रावण ने मुसकाकर कहा-वरारोहे! तुम कहां जा रही हो | तुम्हारी क्या इच्छा हैं | यह समय किसे अभ्युदय का हैं, जो तुम्हारा उपभोग करेगा | यह सुन्दर शिला हैं, इस पर बैठकर विश्राम करो | हे भीरु! इस जगत में मुझसे बढ़कर कोई नहीं हैं | इंद्र, विष्णु, अश्विनीकुमार कोई भी मेरी समता नहीं कर सकते | अत: मुझे त्याग कर तेरा अन्य के पास जाना उचित नहीं | देख मैं त्रिलोकी का विधाता दशग्रीव हूं और तुझसे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूं, अत: हे सुंदरी! मेरा कहना मान ले |

रावण के ऐसे वचन सुन, रम्भा कांप उठी | उसने हाथ जोड़कर कहा-राक्षसराज! अप मुझ पर प्रसन्न होइए-मुझ पर कृपा कीजिए | आपको मुझसे ऐसी बात न करनी चाहिए | क्योंकि आप मेरे महान हैं, गुरु और पिता के तुल्य हैं | यदि मुझे और कोई ऐसा कहे तो आपको मेरी रक्षा करनी चाहिए | मैं धर्मत: आपकी पुत्र-वधू हूं, यह आपसे सत्य कह रही हूं |

मैं इस समय आपके भाई कुबेर के पुत्र नलकूबर की सेवा में जा रही हूं और इस कार्य में विघ्न न करें | मुझे त्याग कर सज्जनो के मार्ग पर चलिए | रावण ने कहा-राम्भे! तुम अपने को मेरी पुत्र-वधू क्यों बता रही हो ? यह विचार तो उस स्त्री के लिए आता हैं जो किसी एक पुरुष की पत्नी हो | तुम्हारे देवलोक की तो स्थिति ही कुछ और हैं | अप्सराओं का कोई पति नहीं होता | ऐसा कह उस निशाचर ने बलपूर्वक रम्भा को उस शिला पर बैठा लिया और कामासक्त होकर उसका उपभोग किया |

पश्चात उस अप्सरा को उसने छोड़ दिया | वह भय कम्पित हो नलकूबर के पास चली गई और हाथ जोड़कर उसके चरणों में गिर पड़ी | नलकूबर ने कहा-‘कल्याणी! यह क्या बात हैं ? तुम मेरे पैरों पर क्यों गिर रही हो ? वह थर-थर कांप रही थी | पश्चात उसने हाथ जोड़कर, जो कुछ हुआ था वह सब बात कही | तब उस पर बलात्कार की बात सुनकर वैश्रवण कुमार नलकूबर ने ध्यान लगाकर रावण की सब बर्बरता को ज्ञात कर लिया |

उसके नेत्र क्रोध से लाल हो गए | उन्होंने तत्क्षण सविधि आचमन कर हाथ में जल ले राक्षसेंद्र रावण को यह भयंकर शाप दिया कि-‘हे भद्रे! स्त्री की इच्छा न रहने पर यदि काम पीड़ित होकर किसी स्त्री पर अत्याचार करेगा तो उसके सिर के सात टुकड़े हो जाएंगें | नलकूबर के इस शाप को जब रावण ने सुना तब से उसने अकामा स्त्रियों पर बलात्कार करना त्याग दिया |

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