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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
kundli41
2023
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रावण का कुबेर को युद्ध में परास्त कर पुष्पक विमान प्राप्त करना

 
 
     तदनंतर कुबेर ने मणिभद्र नामक महायक्ष को चार हजार यक्ष सैनिकों सहित रावण से युद्ध करने को भेजा | परन्तु रावण के मंत्री प्रहस्त और महोदर ने मिलकर दो हजार यक्षों को युद्ध में मार डाला और अकेले मारीच ने दो हजार यक्षों का संहार किया | क्योंकि राक्षसों का युद्ध माया बल से होता था और यक्षों का सरलता युक्त था |
 
     इससे यक्षों से राक्षस प्रबल हुए | परन्तु यक्ष मणिभद्र ने राक्षस धूम्राक्ष से बड़ा युद्ध किया | उसने अपनी गदा के प्रहारों से धूम्राक्ष को मार-काटकर पृथ्वी पर गिरा दिया | वह लहुलुहान हो मूर्च्छित हो गया | यह देख रावण मणिभद्र पर टूट पड़ा | उसने मणिभद्र पर अपनी शक्तियों का प्रहार कर उसका मुकुट काट गिराया | इससे वह यक्ष वीर युद्ध क्षेत्र से पलायन कर गया | 
 
     यह एख राक्षस सिंहनाद करने लगे | इतने में कुबेर हाथ में गदा लिए दिखाई पड़े | उनका साथ कोष-रक्षक शुक और प्रोष्टपद तथा पद्म और शंखनामक कोष्ठ-देवता भी आए | उन्होंने आकर देखा तो पितृ-शापित रावण धृष्टता से खड़ा हैं और अपने ज्येष्ठ भ्राता का प्रणामादि शिष्टाचार भी नहीं करता | 
 
     तब ऐसे रावण को देख कुबेरजी ने पितामह कुलोचित वचन उससे कहा-‘हे दुर्मते! मेरे मना करने पर भी तू नहीं मानता | इसका कटूफल तू नरक में पायेगा | अब तुझे सूझ पड़ेगा | अज्ञान का कर्मफल पश्चात पाकर समझ पड़ता हैं | क्या तुझे अपने क्रूर कर्मों का नितान्त ही ज्ञान नहीं रहा ? अरे मूढ़! जो अपने माता-पिता, ब्राह्मण और आचार्य का अपमान करता हैं, उसे यमराज के यहाँ बड़ा कष्ट प्राप्त होता हैं | 
 
     परन्तु मैं तुसे अधिक वार्तालाप क्या करूँ ? क्योंकि मूर्ख से अधिक वार्तालाप न करना चाहिए |’ ऐसा कह कुबेर ने रावण के मारीच आदि मंत्रियों पर भयानक प्रहार कर किया | वे ताडित हो युद्ध क्षेत्र त्याग पलायन कर गए | तब रावण के मंत्रियों को भगाकर महाबलवान कुबेर ने रावण के मस्तक पर अपनी प्रचण्ड गदा का प्रहार किया, किन्तु रावण अपने स्थान से विचलित न हुआ | अब कुबेर और रावण दोनों परस्पर युद्ध करने लगे |
 
     रावण व्याघ्र, शूकर, मेघ, पर्वत, सागर, वृक्ष, यक्ष और दैत्य के रूपों में दृष्टि आने लगा | उसका मुख्य स्वरूप दृष्टिगोचर ही न होता | उसी समय रावण ने अपने एक विशाल अस्त्र से कुबेर की विशाल गदा को विद्ध कर दिया | साथ ही उनके मस्तक पर भी प्रहार किया | उस प्रहार को कुबेर सहन न कर सके और रक्त वमन करते हुए वृक्ष के समान धराशायी हो गए | 
 
     यद्यपि निधि देवताओं ने कुबेर को उठाकर नंदन वन में पहुँचाया और सचेष्ट किया | इस प्रकार धनेश्वर को परास्त कर रावण ने विजय स्वरूप उनका पुष्पक विमान छीन लिया | पुष्पक की विचित्र रचना थी | तब दुर्मति रावण उस पर आरूढ़ हो कैलास से नीचे उतरा | अब उसने अपने को ऐसा समझा मनो त्रिलोकी को विजय कर लिया | 
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