Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

News & Update

ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

Omasttro.in

heler
kundli41
2023
Pt.durgesh
previous arrow
next arrow
Omasttro

 
     यमपुरी पहुंच कर रावण ने देखा कि सब प्राणी बंधकर मारे-पीटे जा रहे हैं | सब प्राणी पुण्यों और पापों का फल पा रहे हैं | जल के स्थान में रक्त से पूर्ण अति गंभीर वैतरणी नदी को सब पार कर रहे और बालू पर घसीटे जा रहे हैं | तब इस प्रकार के दृश्य देखते हुए रावण ने उन पापियों को, जो अपने पापकर्म फल से कष्ट भोगाये जा रहे थे, उन्हें अपने बल से मुक्त कर दिया | फिर तो रावण द्वरा जीवों को मुक्त हुआ देख यम-किन्नरों ने उस पर आक्रमण कर दिया | 
 
     यमराज ने उन लाखों सैनिको की गणना नहीं हो सकती जो अभिलषित युद्ध करने लगे | उधर रावण भी स्वयं युद्ध कर रहा था | कुछ क्षण पश्चात सभी यम किन्नर एक स्वर से रावण पर टूट पड़े और उस पर शूलों की वर्षा करने लगे | उस शूल वर्षा से रावण का शरीर बिंध उठा और उसने रक्त स्नान सा कर लिया | परन्तु वह यमराज के सैनिकों पर बड़ी-बड़ी शिलाएं बरसाने लगा | उधर यमकिन्नरों ने भी अपने भी अपने भयानक प्रहारों से रावण का धनुष काट दिया और उसके कवच को तोड़ डाला | 
 
     फिर भी वह युद्ध करता ही रहा और अब वह पुष्पक विमान से उतर पृथ्वी पर खड़ा हो हाथ में दूसरा धनुष ले, दुसरे यमराज के समान, युद्ध के लिए सन्नद्ध हुआ | फिर पाशुपतास्त्र को अभिमन्त्रित कर सबको ललकारते हुए रावण ने तिष्ठ-तिष्ठ कह उन पर भयानक प्रहार किया | पाशुपतास्त्र का रूप धूम्र और ज्वालमाला से युक्त था | 
 
      ज्वालमाली बना रावण यम की सेना पर उसे भस्मसात करता हुआ दौड़ रहा था | उसके उस अस्त्र के तेज से यमराज के समस्त सैनिक त्रस्त हो गिर पड़े | यह देख भयंकर विक्रमी राक्षस रावण अपने मंत्रियों सहित पृथ्वी को कम्पित करता हुआ-सा महानाद करने लगा | 
 
     रावण के इस घोर नाद को सुनकर यमराज ने समझ लिया कि रावण की विजय हो गई और मेरी सेना नष्ट हो गई | तब वह स्वयं अपने विशाल रथ पर बैठ पाश और मुद्गर ले युद्ध करने आया | तदनंतर सारथी ने उनके लाल रंग वाले घोड़ों को हांका तो वह रथ घोर शब्द करता हुआ राक्षस राज रावण की और चल पड़ा | यम को स्वर्ग आता देख रावण के मंत्री भयभीत हो यत्र-तत्र पलायन करने लगे; परन्तु रावण किञ्चत भयभीत न हुआ | 
 
     सात दिन-रात यम और रावण के एक-दुसरे पर अपने अस्त्र-शस्त्र से प्रहार करते रहे | परन्तु जब यमदेव ने युद्ध में इतनी दृढ़ता प्रकट की तब वह मूर्च्छित हुआ तथा उसने युद्ध से अल्प विराम लिया | किन्तु पलायन नहीं किया | यमराज ने कहा-अब मैं रावण का संहार ही कर डालूँगा | तदनंतर यमराज ने क्रोध से अमोघ कालदंड को उठा रावण को मारना चाहा | 
 
     यह देख ब्रह्माजी उनके समीप आकार बोले-वैवस्वत महाबाहो! इस दंड को चलाकर तमु इस राक्षस को मत मारो | क्योंकि मैं इसको वरदान दे चुका हूँ | अत: मेरा वचन मिथ्या मत करो | ब्रह्माजी के ये वचन सुनकर, धर्मात्मा यमराज ने कहा-आप मेरे स्वामी हैं | 
 
     अत: मैं इस दंड को इस पर न चलाऊंगा; परन्तु आप ही बतलावें कि इस युद्ध में क्या करूँ ? यह तो आपके वरदान से अवध्य ही हैं | अत: अब उस राक्षस की दृष्टि से मैं अदृश्य हो रहा हूँ | यह कहकर यमराज अंतर्ध्यान हो गए | इस प्रकार रावण ने यमराज पर विजय प्राप्त की | 
 
 
 
error: Content is protected !!
Join Omasttro
Scan the code
%d bloggers like this: