Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

News & Update

ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

Omasttro.in

Omasttro

ऋषि पंचमी कब है

इस साल ऋषि पंचमी बुधवार, 20 सितंबर 2023 के दिन मनाई जाएगी।

 
Event Date and Time
ऋषि पंचमी 2023 बुधवार, 20 सितंबर 2023
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त 11:01 AM to 01:28 PM
अवधि 02 घंटे 27 मिनट
ऋषि पंचमी तिथि प्रारंभ 19 सितंबर, 2023 को दोपहर 01:43 बजे
ऋषि पंचमी तिथि समाप्त 20 सितंबर 2023 को दोपहर 02:16 बजे

ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त

पंचमी तिथि का प्रारम्भ 19 सितम्बर, मंगलवार दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर होगा। वहीं इसकी समापन 20 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत 20 सितंबर को किया जाएगा और व्रत की पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 19 मिनट से 01 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।

जानिए व्रत की विधि (Rishi Panchami puja vidhi)

ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाए। इसके बाद घर और मंदिर की अच्छे से सफाई करें। इसके बाद पूजन की सामग्री जैसे धूप, दीप, फल, फूल, घी, पंचामृत आदि एकत्रित करके एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। चौकी पर सप्तऋषि की तस्वीर लगाएं।

आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। अब उन्हें फल-फूल और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। इसके बाद आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें। इस दिन बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद भी जरूर लेना चाहिए।

ऋषि पंचमी क्यों मनाई जाती है

हिंदू धर्म के अनुसार पवित्रता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है और शरीर और आत्मा को शुद्ध बनाए रखने के लिए सख्त दिशानिर्देश हैं। हिंदू धर्म में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है और इसलिए इस अवधि के दौरान महिलाओं को रसोई में खाना पकाने या किसी भी धार्मिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है। इन दिशानिर्देशों की उपेक्षा करने से रजस्वला दोष बढ़ता है। रजस्वला दोष से छुटकारा पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत करने की सलाह दी जाती है। नेपाली हिंदुओं में ऋषि पंचमी अधिक लोकप्रिय है। कहीं-कहीं तीन दिवसीय हरतालिका तीज का व्रत ऋषि पंचमी को समाप्त होता है।

ऋषि पंचमी पूजा कैसे करें

(rishi panchami puja kaise karen)

ऋषि पंचमी के दिन स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने घर में साफ जगह पर हल्दी, कुमकुम और रोली का उपयोग करके एक चौकोर आकार का मंडल बनाएं। मंडल पर सप्त ऋषि की प्रतिमा स्थापित करें। चित्र के ऊपर शुद्ध जल और पंचामृत डालें। उनका टीका चंदन से करें। फूलों की माला पहचानाएं और सप्तऋषि को पुष्प अर्पित करें। उन्हें पवित्र धागा (यज्ञोपवीत) पहनाएं। फिर सफेद वस्त्र अर्पित करें। साथ ही उन्हें फल, मिठाई आदि भी अर्पित करें। उस स्थान पर धूप आदि रखें। कई क्षेत्रों में यह पूजा प्रक्रिया नदी के किनारे या तालाब के पास देखी जाती है। इस पूजा के बाद महिलाएं अनाज का सेवन नहीं करती हैं। बल्कि वे ऋषि पंचमी के दिन एक खास तरह के चावल का सेवन करते हैं।

ऐसे करें ऋषि पंचमी की पूजा (Worship Rishi Panchami like this)

इस दिव्य दिन पर, पास की पवित्र नदी में पवित्र करना बहुत महत्वपूर्ण है।

  • नदी में स्नान करने के बाद सप्त – ऋषि की प्रतिमाओं को पंचामृत चढ़ाना चाहिए।
  • इसके बाद उन पर चंदन और सिंदूर का तिलक लगाएं।
  • फूल, मिठाई, खाद्य पदार्थ, सुगंधित धूप, दीपक आदि सप्तऋषियों को अर्पित करें।
  • मंत्र जाप के साथ सफेद वस्त्र यज्ञोपवीतों और नैवेद्य धारण कर उनकी पूजा करें।

ऋषि पंचमी व्रत के दौरान इन सप्त – ऋषियों की पूरी पवित्र प्रथाओं के साथ पूजा करके लोककथाओं को सुनना बहुत महत्वपूर्ण है।

ऋषि पंचमी का महत्व

इस व्रत में लोग उन प्राचीन ऋषियों के महान कार्यों का सम्मान, कृतज्ञता और स्मरण व्यक्त करते हैं, जिन्होंने अपना जीवन समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। यह व्रत पापों का नाश करने वाला और फल देने वाला है। अगर यह पारंपरिक अनुष्ठानों के एक उचित सेट द्वारा किया जाता है। ऋषि पंचमी त्योहार उपवास के लिए एक महत्वपूर्ण आधार बनाता है और श्रद्धा का आभार, समर्पण और ऋषियों के प्रति सम्मान है।

ऋषि पंचमी व्रत कथा

एक बार एक राज्य में उत्तक नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। इनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी थी। ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह एक अच्छे और प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में किया। लेकिन जैसे – जैसे समय बीतता गया, लड़की के पति की अकाल मृत्यु हो जाती है और वह विधवा हो गई, और इस कारण अपके पिता के घर लौट गई। ठीक बीच में लड़की के पूरे शरीर पर कीड़े लग गए। उसके संक्रमित शरीर को देखने के बाद, वे दु:ख से व्यथित हो गए और अपनी बेटी को उत्तक ऋषि के पास यह जानने के लिए लेकर गए कि उनकी बेटी को क्या हुआ है।

उत्तक ऋषि ने उन्हें बताया कि कैसे उसने फिर से एक मनुष्य के रूप में पुनर्जन्म कैसे लिया। उन्होंने कन्या को पिछले जीवन के बारे में सब कुछ बताया। ऋषि ने अपने माता – पिता को लड़की के पहले जन्म के विवरण के बारे में बताया। और कहा कि कन्या पिछले जन्म में मनुष्य थी। उन्होंने आगे कहा रजस्वला – महावारी होने के बाद भी उसने घर के बर्तन आदि को छुआ था जिसके कारण उसे इन सभी पीड़ाओं का सामना करना पड़ रहा है। अनजाने में किए गए इस पाप के कारण उसके पूरे शरीर पर कीड़े पड़ गए।

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार एक लड़की या महिला अपने मासिक धर्म (रजस्वला या महावारी) पर पूजा का हिस्सा नहीं बन सकती। लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया और उसे किसी भी तरह इसकी सजा भुगतनी पड़ी।

समापन

अंत में ऋषि ने निष्कर्ष निकाला कि यदि यह कन्या ऋषि पंचमी की पूजा करें व पूरे मन से और श्रद्धा से क्षमा मांगें। उसे अपने पापों से शीघ्र ही मुक्ति मिल जाएगी। इस प्रकार व्रत और श्रद्धा रखने से उनकी पुत्री अपने पिछले पापों से मुक्त हो गई।

0

%d bloggers like this: