Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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पुष्पों द्वारा शिव पूजा का महात्म्य

 

ऋषियों ने पूछा- हें महाभाग! अब आप यह बताइए कि भगवान शिवजी की किन-किन फूलों से पूजा करनी चाहिए ? विभिन्न फूलों से पूजा करने पर क्या-क्या फल प्राप्त होते हैं ?

सूत जी बोले- हें ऋषियों! यही प्रश्न नारद जी ने ब्रह्माजी से किया था | ब्रह्मा जी ने उन्हें पुष्पों द्वारा शिवजी की पूजा के महात्म्य को बताया |

ब्रह्माजी ने कहा-  नारद! लक्ष्मी अर्थात धन की कामना करने वाले मनुष्य को कमल के फूल, बेल पत्र, शतपत्र और शंख पुष्प से भगवान शिव का पूजन करना चहिए | एक लाख पुष्पों द्वारा भगवान शिव की पूजा होने पर सभी पापों का नाश हो जाता हैं और लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं | एक लाख फूलों से शिवजी की पूजा करने से मनुष्य को सम्पूर्ण अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती हैं | जिसके मन में कोई कामना न हो, वह उपासक इस पूजन नसे शिव स्वरूप हो जाता हैं |

मृत्युंजय मंत्र के पांच लाख जाप पूरे होने पर महादेव के स्वरूप के दर्शन हो जाते हैं | एक लाख जाप से शरीर की शुद्धि होती हैं | दुसरे लाख के जाप से पहले जन्म की बातें याद आ जाती हैं | तीसरे लाख जाप के पूर्ण होने पर इच्छा की गई सभी वस्तुओं की प्राप्ति हो जाती हैं | चौथे लाख जाप पूर्ण होने पर भगवान शिव सपनों के दर्शन देते हैं | पांचवां लाख जाप पूरा होने पर वे प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं | मृत्युंजय मंत्र के दस लाख जाप करने से सम्पूर्ण फलों की सिद्धि होती हैं | मोक्ष की कामना करने वाले मनुष्य को एक लाख दर्भों (दूर्वा) से शिव पूजन करना चहिए | आयु वृद्धि की इच्छा करने वाले मनुष्य को एक लाख दुर्वओं द्वारा पूजन करना चहिए | पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाले मनुष्य को एक लाख धतूरे के फूलों से पूजा करनी चहिए |

पूजन में लाल डंठल वाले धतूरे को शुभदायक मन जाता हैं | यश प्राप्ति के लिए एक लाख अगस्त्य के फूलों से पूजा करनी चाहिए | तुलसीदल द्वारा शिवजी की पूजा करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं | अडहुल (जवा कुसुम) के एक लाख फूलों से पूजा करने पर शत्रुओं की मृत्यु होती है | एक लाख करवीर के फूलों से शिव पूजन करने पर समस्त रोगों का नाश हो जाता हैं | दुपहरिया के फूलों के पूजन से आभूषण तथा चमेली के फूलो से पूजन करने से वाहनं की प्राप्ति होती हैं | अलसी के फूलों से शिव पूजन करने से विष्णुजी भी प्रसन्न होते हैं | बोलों के फूलों से अर्घ्य देने पर अच्छे जीवन साथी की प्राप्ति होती हैं | जूही के फूलों से पूजन करने पर घर में धन-संपदा का वास होता हैं तथा अन्न के भंडार भर जाते हैं |

कनेर के फूलों से पूजा करने पर वस्त्रों की प्राप्ति होती हैं | सेदुआरि और शेफालिका के फूलों से पूजन करने पर मन निर्मल हो जाता हैं | हारसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-संपत्ति की वृद्धि होती हैं | राई के एक लाख फूलों से पूजन करने पर शत्रु मृत्यु को प्राप्त होते हैं | चंपा और केवड़े के फूलों से शिव पूजन नहीं करना चहिए | ये दोनों फूल महादेव के पूजन के लिए अयोग्य होते हैं | इसके अलावा सभी फूलों का पूजा में उपयोग किया जा सकता हैं |

महादेवी जी पर चावल चढाने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं | ये चवल अखंडित होने चाहिए | उन्हें विधिपूर्वक अर्पित करें | रुद्र्प्रधान मंत्र से पूजन करते हुए, शिवलिंग पर वस्त्र अर्पित करें | गंध, पुष्प और श्रीफल चढाकर धूप-दीप से पूजन करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता हैं | उसी प्रांगण में बारह ब्राह्मणों को भोजन कराएं | इससे सांगोपांग पूजा संपन्न होती हैं | एक लाख तिलों से शिवजी का पूजन करने पर समस्त दुखों और क्लेशों का नाश होता हैं | जौ के दाने चढाने पर स्वर्गीय सुख की प्राप्ति होती हैं | गेहूं के बने भोजन से लाख बार शिव पूजन करने से संतान की प्राप्त होती हैं | मूंग से पूजन करने पर उपासक को धर्म, अर्थ और काम-भोग की प्राप्ति होती हैं तथा वह पूजा समस्त सुखों को देने वाली हैं |

उपासक को निष्काम होकर मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए | भक्तिभाव से विधिपूर्वक शिव की पूजा करके जलधारा समर्पित करनी चाहिए | शत रुद्रीय मंत्र से एकादश रूद्र जप, सूक्त, षडंग, महामृत्युंजय और गायत्री मंत्र में नमः लगाकर नामों से अथवा प्रणव ‘ॐ’ मंत्र द्वारा शास्त्रोक्त मंत्र से जलधारा शिवलिंग पर चढाएं |

धारा पूजन से संतान की प्राप्ति होती हैं | सुख और संतान की वृद्धि के लिए जलधारा का पूजन उत्तम होता हैं | उपासक को भस्म धारण प्रेमपूर्वक शुभ एवं दिव्य द्रवों द्वारा शिव पूजन कर उनके सहस्र नामों का जाप करते हुए शिवलिंग पर घी की धारा चढानी चाहिए | इससे वंश का विस्तार होता हैं | दस हजार मंत्रों द्वारा इस प्रकार किया गया पूजन रोगों को समाप्त करता हैं तथा मनोवांछित फल की प्राप्त होती हैं | नपुंसक पुरुष को शिवजी का पूजन घी से करना चाहिए | ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए और प्राजापत्य का व्रत रखना चाहिए |

बुद्धिहीन मनुष्य को दूध में शक्कर मिलाकर इसकी धारा शिवलिंग पर चढानी चाहिए | इससे भगवान प्रसन्न होकर उत्तम बुद्धि प्रदान करते हैं | यदि मनुष्य का मन उदास रहता हो, जी उचट जाए, कहीं भी प्रेम न रहें, दुख बढ़ जाए तथा घर में सदैव लड़ाई रहती हो तो मनुष्यों को शक्कर मिश्रित दूध दस हजार मंत्रों का जाप करते हुए शिवलिंग को अर्पित करना चाहिए | खुशबू वाला तेल चढाने पर भोगों की वृद्धि होती हैं | यदि शिवजी पर शहद चढाया जाए तो टी.बी. जैसा रोग भी समाप्त हो जाता हैं | शिवजी को गन्ने का रस चढाने से आनंद की प्राप्ति होती हैं | गंगाजल चढाने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं |

उपरोक्त वस्तुओं को अर्पित करते समय मृत्युंजय मंत्र के दस हजार जाप करने चाहिए और ग्यारह ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए | इस प्रकार शिवजी की विधि सहित पूजा करने से पुत्र-पौत्रादि सहित सब सुखों को भोगकर अंत में शिवलोक की प्राप्ति होती हैं |

 

|| शिव पुराण ||

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