Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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ज्योतिषशास्त्र में शनि का राशि परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। शनि हर ढाई साल में एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं। इस प्रकार किसी एक राशि में दोबारा से शनि के आने के लिए करीब 30 वर्षों का समय लगता है। शनि सभी 12 राशियों का एक चक्कर काटने में 30 वर्षों का समय लगाते हैं। शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले ग्रह माने गए इस कारण से इनका प्रभाव जातकों के ऊपर लंबे समय तक रहता है। शास्त्रों में शनिदेव को कर्मफलदाता माना गया है। शनि अच्छे कर्म करने वालों को अच्छा और बुरे कर्म करने वालों का बुरा फल प्रदान करते हैं।
Shani Amavasya

शनि हर ढाई साल में राशि बदलते हैं लेकिन कई बार ये बीच में वक्री और मार्गी भी होते हैं। ऐसे में इस वर्ष शनि का राशि परिवर्तन दो चरणों में हो रहा है। शनि साल 2022 में 29 अप्रैल को मकर राशि की यात्रा को विराम देते हुए कुंभ राशि में प्रवेश कर लिया था, फिर जून में वक्री हुए और अब 12 जुलाई को वक्री शनि मकर राशि में आ जाएंगे। शनि देव इस प्रकार 6 महीनों के लिए मकर राशि में विराजमान रहेंगे।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 23 अक्तूबर 2022 तक शनि वक्री यानी उल्टी चाल ही चलेंगे। 12 जुलाई को शनिदेव सुबह के समय पर मकर राशि में आ जाएंगे जहां पर ये करीब 6 महीनों तक रहेंगे। फिर इसके बाद 7 जनवरी 2023 को कुंभ राशि में अपनी यात्रा को आरंभ कर देंगे। 12 जुलाई को शनि के मकर राशि राशि में आने से एक बार फिर से धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती और मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी। 

वृश्चिक राशि
इस राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री अवस्था में दोबारा से मकर में प्रवेश किसी वरदान से कम नहीं है। भाग्य का भरपूर साथ आपको मिलेगा। नई बनाई गई रणनीतियां कारगर सिद्ध होंगी। नौकरी में बेहतर अवसरों की प्राप्ति होगी। धन लाभ की अच्छी संभावना है। परिवार में सुख-समृद्धि और शांति मौजूद रहेगी। धन का निवेश सोच समझकर करना फायदे में होगा। 
 
 
कुंभ राशि 
भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा। कार्यों में सफलताएं प्राप्त होंगी। शनि की प्रिय राशि होने के कारण आपके ऊपर शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी। मान-सम्मान और धन लाभ के अच्छे संकेत हैं।
 
 
मीन राशि
आपके लिए शनिदेव बहुत कुछ अच्छा करने वाले हैं। धन लाभ और पैतृक संपत्ति से आपको लाभ के संकेत हैं। व्यापार में मुनाफा मिलने के अच्छे संकेत हैं। कार्यों में प्रगति मिलेगी। विदेश की यात्राएं संभव है। आने वाले समय आपके लिए फलदायी रहेगा। 
 

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