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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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शनि वक्री 2023: ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है जो कि न्यायाधीश और कर्मफल दाता हैं। इन्हें दुख, रोग, लोहा, और सेवक आदि का कारक माना जाता है। सभी नौ ग्रहों में शनि सबसे मंद गति से चलते हैं इसलिए इन्हें एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करने में ढ़ाई साल का समय लगता है। साथ ही, शनि की साढ़े साती और ढैय्या के नाम से भी लोग भयभीत हो जाते हैं। ऐसे में, शनि की स्थिति में थोड़ा भी परिवर्तन जातकों के जीवन में उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है और अब, शनि कुंभ राशि में वक्री होने जा रहे हैं जिसका सीधा असर राशिचक्र की 5 राशियों पर पड़ेगा। तो आइये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की और जानते हैं कौन सी हैं वह 4 राशियां। 

 

 

हालांकि, शनि देव को एक कठोर ग्रह माना जाता है और इनकी टेढ़ी दृष्टि व्यक्ति के जीवन को दुख और कष्टों से भरने का सामर्थ्य रखती है, लेकिन यह मानना कि शनि सिर्फ अशुभ परिणाम देते हैं असत्य कहा जाएगा। किसी व्यक्ति से प्रसन्न होने पर शनि महाराज उस व्यक्ति के जीवन को धन-धान्य से भर देते हैं। शनि का कुंभ राशि में वक्री होना 4 राशियों के जीवन में क्या कुछ बदलाव लेकर आएगा, आइये इस पर नज़र डालते हैं। 

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शनि कुंभ राशि में वक्री: तिथि एवं समय

17 जून 2023 की रात 10 बजकर 48 मिनट पर शनि कुंभ राशि में वक्री हो जाएंगे। शनि देव 4 नवंबर सुबह 8 बजकर 26 मिनट तक इस अवस्था में रहेंगे। शनि देव लगभग 5 महीने वक्री अवस्था में रहेंगे। ऐसे में, जातकों के जीवन में कुछ शुभ या अशुभ प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। 

शनि की वक्री चाल से इन 4 राशियों के बिगड़ेंगे बने बनाए काम   

मेष राशि

मेष राशि वाले शनि की वक्री अवस्था के दौरान काफ़ी मेहनत करते हुए दिखाई दे सकते हैं। साथ ही, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी आपको परेशान कर सकती हैं। कार्यस्थल पर काम का अधिक भार आपके शारीरिक और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है, लेकिन शनि की वक्री चाल व्यापारी वर्ग को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगी। 

कर्क राशि    

कर्क राशि वालों के लिए शनि आपके आठवें भाव में वक्री हो रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप, इन जातकों के लिए शनि की वक्री अवस्था शुभ नहीं कही जा सकती है। यह जातक कार्यस्थल पर कड़ी मेहनत करेंगे, लेकिन संभव है कि इन्हें अपनी मेहनत का फल न मिले। साथ ही, आपको अपनी सेहत को लेकर भी सावधान रहना होगा, विशेषकर वाहन चलाते समय। इन लोगों को जीवन में अनेक समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है।     

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए शनि का वक्री होना फलदायी न रहने की आशंका है। जो लोग नौकरी में बदलाव करने के बारे में सोच रहे हैं फिलहाल के लिए इसे टाल देना उनके लिए उचित साबित होगा क्योंकि मौजूदा समय में जहाँ आप नौकरी कर रहे हैं, वहां आपको भविष्य में लाभ मिलने की संभावना है। हालांकि, आपको अपनी माता के स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। 

कुंभ राशि

शनि देव अपनी स्वयं की राशि कुंभ में वक्री हो रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप, आपको मानसिक तनाव झेलना पड़ सकता है। इस दौरान बिना सोचे-समझे फैसला लेने से बचें क्योंकि बाद में आप उस फैसले पर पछतावा जताते हुए नज़र आ सकते हैं। वैवाहिक जीवन में भी परेशानियों से दो-चार होना पड़ सकता है। हालांकि, इन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना होगा। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न.1 शनि कब शुभ फल देता है?

उत्तर. जब शनि जन्म कुंडली के तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव में होते हैं।

प्रश्न.2 शनि की साढ़ेसाती कितने साल तक चलती है?

उत्तर. साढ़े सात वर्ष की अवधि को साढ़े साती कहते हैं।

प्रश्न.3 शनि किसका प्रतीक है?

उत्तर. ज्योतिष में शनि ज्ञान, अनुशासन और कर्म को दर्शाता है।

 

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