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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
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2023
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दक्ष द्वरा महान यज्ञ का आयोजन 

 
     ब्रह्माजी बोले-हे महर्षि नारद! इस प्रकार, क्रोधित व अपमानित दक्ष ने कनखल नामक तीर्थ में एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया | उस यज्ञ में उन्होंने सभी देवर्षियों, महर्षियों तथा देवताओं को दीक्षा देने के लिए बुलाया | अगस्त्य, कश्यप, अत्रि, वामदेव, भृगु, दधीचि, भगवान व्यास, भारद्वाज, गौतम, पैल, पराशर, गर्ग, भार्गव, ककुष, सित, सुमन्तु, त्रिक, कंक और वैशंपायन सहित अनेक ऋषि-मुनि अपनी पत्नियों व पुत्रों सहित प्रजापति दक्ष के यज्ञ में सम्मिलित हुए | समस्त देवता अपने देवगणों के साथ प्रसन्नतापूर्वक यज्ञ में गए | अपने पुत्र दक्ष की प्रार्थना स्वीकार करके मैं विश्वस्रष्टा ब्रह्मा और बैकुण्ठलोक से भगवान विष्णु भी उस यज्ञ में पहुंचे | वहाँ दक्ष ने सभी पधारे हुए अतिथियों का खूब आदर-सत्कार किया | उस यज्ञ के स्थान का निर्माण देवताओं के शिल्पी विश्वकर्मा द्वारा किया गया था | विश्वकर्मा ने बहुत से दिव्य भवनों का निर्माण किया | उन भवनों में दक्ष ने यज्ञ में पधारे अतिथियों को ठहराया | दक्ष ने भृगु ऋषि को ऋत्विज बनाया | भगवान विष्णु यज्ञ के अधिष्ठाता थे | इस विधि को मैंने ही बताया | दक्ष सुन्दर रूप धारण कर यज्ञ मण्डल में उपस्थित था | उस महान यज्ञ में अट्ठाईस हजार ऋषि एक साथ हवन कर सकते थे | चौसठ हजार देवर्षि मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे | सभी मग्न होकर वेद मंत्रों का गान कर रहे थे | 
 
     दक्ष ने उस महायज्ञ में गंधर्वों, विद्याधरों, सिद्धों, बारह आदित्यों व उनके गणों तथा नागों को भी आमंत्रित किया था | साथ ही देश-विदेश के अनेक राजा उसमे उपस्थित थे, जो अपनी सेना एवं दरबारियों सहित यज्ञ में पधारे थे | कौतुक और मंगलाचार कर दक्ष ने यज्ञ की दीक्षा ली परन्तु उस दुरात्मा दक्ष ने त्रिलोकीनाथ करुणानिधान भगवान शिव को यज्ञ के लिए निमंत्रण नहीं भेजा था | न ही अपनी पुत्री सती को ही बुलाया था | दक्ष के अनुसार भगवान शिव कपालधारी हैं, इसलिए उन्हें यज्ञ में स्थान देना गलत हैं | सती भी शिवजी की पत्नी होने के कारण ‘कंपाली भार्या’ हुई | अत: उन्हें भी बुलाना पूर्णत: अनुचित था | दक्ष का यज्ञ महोत्सव अत्यंत धूमधाम एवं हर्ष-उल्लास से आरम्भ हुआ | सभी ऋषि-मुनि अपने-अपने कार्य में संलग्न हो गए | तभी वहाँ महर्षि दधीचि पधारे | उस यज्ञ में भगवान शंकर को न पके दधीचि बोले-हे श्रेष्ठ देवताओं और महर्षियों! मैं आप सभी को श्रद्धापूर्वक नमस्कार करता हूँ | हे श्रेष्ठजनों! आप सभी यहाँ इस महान यज्ञ में पधारे हैं | मैं आप सब से यह पूछना चाहता हूँ कि मुझे इस यज्ञ में त्रिलोकीनाथ भगवान शंकर कही भी दिखाई नहीं दे रहे हैं | उनके बिना यह यज्ञ मुझे सूना लग रहा हैं | उनकी अनुपस्थिति से यज्ञ की शोभा कम हो गई हैं | जैसा कि आप जानते हैं कि भगवान शिव की कृपा से सभी कार्य सिद्ध होते हैं | वे परम सिद्ध पुरुष, नीलकंठधारी प्रभु शंकर, यहाँ क्यों नहीं दिखाई दे रहे हैं ? जिनकी कृपा से अमंगल भी मंगल हो जाता हैं, जो सर्वथा सबका मंगल करते हैं, उन भगवान शिव का यज्ञ में उपस्थित होना बहुत आवश्यक हैं | इसलिए आप सभी को यज्ञ के सकुशल पूर्ण होने के लिए परम कल्याणकारी भगवान शिव को अनुनय-विनय कर इस यज्ञ में लाना चाहिए | तभी इस यज्ञ की पूर्ति हो सकती हैं | इसलिए आप सभी श्रेष्ठजन तुरंत कैलाश पर्वत पर जाएं और भगवान शिव और देवी सती को यज्ञ में ले आएं | उनके आने से यह यज्ञ पवित्र हो जाएगा | वे परम पुण्यमयी हैं | उनके यहाँ आने से ही यह यज्ञ पूरा हो सकता हैं | 
 
     महर्षि दधीचि की बातों को सुनकर दक्ष हंसते हुए बोला कि भगवान विष्णु देवताओं के मूल हैं | अत: मैंने उन्हें सादर यहाँ बुलाया हैं | जब वे यहाँ उपस्थित हैं तो भला यज्ञ में क्या कमी हो सकती हैं | भगवान विष्णु के साथ-साथ ब्रह्माजी भी वेदों, उपनिषदों और विविध आगमों के साथ यहाँ पधारे हैं | देवगणों सहित इंद्र भी यहाँ उपस्थित हैं | वेद और वेदतत्वों को जानने वाले तथा उनका पालन करने वाले सभी महर्षि यज्ञ में आ चुके हैं | जब सभी देवगण एवं श्रेष्ठजन यहाँ उपस्थित हैं तो रुद्रदेव की यहाँ क्या आवश्यकता हैं ? मैंने सिर्फ ब्रह्माजी के कहने पर अपनी पुत्री सती का विवाह शिवजी से कर दिया था | मैं जानता हूँ कि वे कुलहीन हैं | उनके माता-पिता का कुछ भी पता नहीं हैं | वे भूतों, प्रेतों और पिशाचों के स्वामी हैं | वे स्वयं ही अपनी प्रशंसा करते हैं | वे मूढ़, जड़, मौनी और ईर्ष्यालु होने के कारण यज्ञ में बुलाए जाने के योग्य नहीं हैं | अत: दधीचि जी, आप उन्हें यज्ञ में बुलाने के लिए न कहें | आप सब ऋषि-मुनि मिलकर अपने सहयोग से मेरे इस यज्ञ को सफल बनाएँ | 
 
     दक्ष की यह बात सुनकर दधीचि मुनि बोले-हे दक्ष! परम कल्याणकारी भगवान शिव को यज्ञ में न बुलाकर तुमने इस यज्ञ को पहले ही भंग कर दिया हैं | यह यज्ञ कहलाने लायक ही नहीं हैं | तुमने भगवान शिव को निमंत्रण न देकर उनकी अवहेलना की हैं | इसलिए तुम्हारा विनाश निश्चित हैं, यह कहकर दधीचि वहाँ से अपने आश्रम चले गए | उनके पीछे-पीछे भगवान शिव का अनुसरण करने वाले सभी ऋषि-मुनि भी वहाँ से चले गए | दक्ष के समर्थकों ने यज्ञ छोडकर गए ऋषियों-मुनियों के प्रति व्यंग्य भरे वचनों का प्रयोग किया | इस प्रकार प्रसन्न होकर दक्ष बोलने लगे कि यह बहुत अच्छी बात हैं कि मंदबुद्धि और मिथ्यावाद में लगे दुराचारी मनुष्य सभी इस यज्ञ का त्याग करके स्वयं ही चले गए हैं \ भगवान विष्णु और ब्रह्माजी, जो कि सभी वेदों के ज्ञाता हैं और वेद तत्वों से परिपूर्ण हैं, इस यज्ञ मर उपस्थित हैं | ये ही मेरे यज्ञ को सफल बनाएंगे | 
 
     ब्रह्माजी बोले कि दक्ष की ये बातें सुनकर वे सभी शिव माया से मोहित हो गए | सभी देवर्षि आदि देवताओं का पूजन करने लगे | इस प्रकार यज्ञ पुनः आरम्भ हो गया | मुनिश्रेष्ठ! इस प्रकार यज्ञस्थल पर रुके अनेक देवर्षि और मुनि वहाँ पुनः यज्ञ को पूर्ण करने हेतु पूजन करने लगे | 
 
 
 
 
 
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