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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
kundli41
2023
Pt.durgesh
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यज्ञ-मण्डप में भय और विष्णु से जीवन रक्षा की प्रार्थना 

 
 ब्रह्माजी बोले-हे नारद! जब वीरभद्र और महाकाली की विशाल चतुरंगिणी सेना अत्यंत तीव्र गति से दक्ष के यज्ञ की और बड़ी तो यज्ञोत्सव में अनेक प्रकार के अपशकुन होने लगे | वीरभद्र के चलते ही यज्ञ में विध्वंस की सूचना देने वाला उत्पात होने लगा | दक्ष की बायीं आंख, बायीं भुजा और बायीं जांघ फडकने लगी | वाम अंगों का फडकना बहुत अशुभ होता हैं | उस समय यज्ञशाला में भूकंप आ गया | दक्ष को कम दिखाई देने लगा | भरी दोपहर में उसे आसमान में तारे देखने लगे | ये धब्बे बहुत डरावने लग रहे थे | बिजली और अग्नि के समान सारे नक्षत्र उन्हें टूट-टूटकर गिरते हुए दिखने लगे | वहां यज्ञशाला में हजारों गिद्ध दक्ष के सिर पर मंडराने लगे | उस यज्ञमण्डप को गिद्धों ने पूरा ढक दिया था | वहां एकत्र गीदड बड़ी भयानक और डरावनी अवजे निकाल रहे थे | सभी दिशाएं अंधकारमय हो गई थी | वहां अनेक प्रकार के अपशकुन होने लगे | फिर उसी अमी वहां आकाशवाणी हुई-ओ महामूर्ख, दुष्ट दक्ष! तेरे जन्म को धिक्कार हैं | तू बहुत बड़ा पापी हैं | तूने भगवान शिव की बहुत अवहेलना की हैं | तूने देवी सती, जो कि साक्षात जगदम्बा रूप हैं, का भी अनादर किया हैं | सती ने तेरी ही वजह से अपने शरीर को योगाग्नि में जलाकर भस्म कर दिया हैं | तुझे तेरे कर्मों का फल जरुर मिलेगा | आज तुझे तेरी करनी का फल अवश्य ही मिलेगा | साथ ही यहां उपस्थित सभी देवताओं और ऋषि-मुनियों को भी अवश्य ही उनकी करनी का फल मिलेगा | भगवान शिव तुम्हे तुम्हारे पापों का फल जरुर देंगे | 
 
     इस प्रकार कहकर वह आकाशवाणी मौन हो गई | उस आकाशवाणी को सुनकर और वहां यज्ञशाला में प्रकट हो रहे अनेक अशुभ लक्षणों को देखकर दक्ष तथा वहां उपस्थित सभी देवतागण भय से कांपने लगे | दक्ष को अपने द्वारा किए गए व्यवहार का स्मरण होने लगा | उसे अपने किए पर बहुत पछतावा होने लगा | तब दक्ष सहित सभी देवता श्रीहरी विष्णु की शरण में गए | वे डरे हुए थे | भय से कांपते हुए वे सभी लक्ष्मीपति विष्णुजी से अपने जीवन की रक्षा की प्रार्थना करने लगे  
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