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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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भौतिक सुखों के देवता शुक्र ग्रह को शुभ ग्रह माना जाता है, जिनका ज्योतिष में अपना एक विशेष महत्व होता है। भौतिक सुखों के अलावा शुक्र को जीवनसाथी, वैवाहिक जीवन, वैभव, भोग-विलास, कला, साहित्य, संतान आदि का कारक भी प्राप्त होता है।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र का शुभ रंग गुलाबी और नीला बताया गया है। ये सौरमण्डल के समस्त ग्रहों में से सबसे चमकीला ग्रह है। इसके अलावा अगर बात करें शुक्र के प्रभाव की तो, किसी कुंडली में शुक्र की मजबूत स्थिति जातक को घर-वाहन सुख, दांपत्य सुख, भोग-विलास आदि से संबंधित सभी प्रकार के सुख देने का कार्य करती हैं। जबकि इसके विपरीत किसी कुंडली में शुक्र की कमज़ोर स्थिति जातक को इन सभी सुखों से वंचित कर सकती है।

जन्म कुंडली में शुक्र का शुभ प्रभाव 

  • ज्योतिषचार्यों के अनुसार जिस जातक की कुंडली शुक्र से प्रभावित होती है, उस जातक का चेहरा आमतौर पर थोड़ा सा लंबा और आकर्षक व मोहित करने वाला होता है।
  • शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति आत्मविश्वास के साथ दूसरों से बातचीत करने वाला और दूसरों के बीच लोकप्रिय होता है।
  • इन जातकों का लोकप्रिय होना ही इन्हें दूसरों के बीच प्रसिद्ध करता है।
  • ऐसे लोग आमतौर पर अधिक हंसमुख स्वभाव के होते हैं।
  • शुक्र प्रधान जातकों के एक से अधिक विपरीत लिंगी मित्र हो सकते हैं।

 

जन्म कुंडली में शुक्र का अशुभ प्रभाव 

  • जिस भी कुंडली में शुक्र ग्रह कमज़ोर हो तो उस जातक का मोह भौतिक सुखों से भंग हो जाता है।
  • आशंका ये भी होती है कि कमजोर व पीड़ित शुक्र के प्रभाव से जातक वैभव-विलासिता को त्यागकर संन्यासी प्रवृत्ति अपना लेता है।
  • शुक्र ग्रह का कुंडली में निर्बल होना जातक को कई तरह के रोग, खासतौर से यौन समस्या देने की भी वजह बनता है।
  • शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति को वीर्य व मूत्र दोष, प्रमेह, शुगर और नेत्र दोष का सामना करना पड़ सकता है।
  • ये भी देखा गया है कि शुक्र से पीड़ित कुंडली के जातकों का अंगूठा बिना किसी रोग के बेकार हो जाता है।
  • शुक्र का पुरुष जातक की कुंडली में पीड़ित होना स्वप्न-दोष से जुड़ी समस्या को भी जन्म दे सकता है।
  • शुक्र के प्रभाव से जातक अपने दांपत्य जीवन व संतान सुख से वंचित रह जाता है।

 

शुक्र के गोचर काल का समय 

कुंडली को प्रभावित करते हुए जातक को अपने कारक अनुसार फल देने वाले अब यही शुक्र देव अपनी स्वराशि वृषभ में 18 जून 2022, शनिवार की सुबह 8 बजकर 6 मिनट पर गोचर करेंगे। शुक्र इस स्थिति में अगले 21 दिनों तक रहेंगे और फिर इसके बाद 29 जून 2022, शनिवार की प्रातः 01 बजकर 21 मिनट पर मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। शुक्र के वृषभ राशि में गोचर करने से सभी राशि के जातकों के साथ-साथ देश-दुनिया में भी कई बड़े बदलाव नज़र आएंगे। आइये डालते हैं इनपर एक नज़र:-

  • इन राशियों के लिए शुभ होगा शुक्र का गोचर 

ज्योतिषाचार्यों की मानें तो शुक्र के वृषभ में गोचर करने से मुख्य रूप से वृषभ, कर्क, कन्या और वृश्चिक राशि के जीवन में प्रेम और रोमांस की वृद्धि देखी जाएगी।

शुक्र के गोचर से प्रभावित होगा इन राशियों का स्वास्थ्य जीवन 

  • ज्योतिष शास्त्र अनुसार शुक्र जनित रोग है: गुप्त रोग, स्त्री रोग, गर्भाशय, स्तन रोग, मूत्र अथवा मूत्राशय संबंधी रोग, वीर्य रोग आदि। ऐसे में शुक्र के अपनी स्वराशि में गोचर करना, वृषभ राशि के जातकों को सूजन, टॉन्सिल्स, त्वचा संबंधी परेशानी, खांसी, मुंह एवं जीभ पर छालों की समस्या दे सकता है।
  • अपने इस गोचर के दौरान शुक्र मेष राशि से द्वितीय भाव में विराजमान होंगे, जिसके परिणामस्वरूप इन जातकों को ह्रदय रोग, नेत्र संबंधी रोग एवं मानसिक पीड़ा होने का खतरा अधिक रहेगा।
  • एस्ट्रोसेज के ज्योतिष विशेषज्ञ शुक्र के वृषभ में गोचर के दौरान सबसे अधिक सिंह राशि वालों को सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं। क्योंकि उनके अनुसार इस गोचर से सिंह जातकों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो सकती है।
  • इस समय शुक्र वृश्चिक राशि से सप्तम भाव में होंगे, इसलिए इस राशि के जातकों को मूत्र संबंधी समस्या व शरीर पर उभरने वाली गांठ आदि संभव है।

शुक्र ग्रह को मजबूत करने के कारगर उपाय

  • नियमित रूप से शुक्रवार का व्रत करें।
  • हर शुक्रवार के दिन सफेद वस्तुओं जैसे मोती, दूध, दही, चीनी, आटा, दूध से बनी मिठाई, घी आदि का दान करें।
  • शुक्रवार का व्रत करते हुए सफेद-चंदन, सफेद-चावल, सफेद-वस्त्र, सफेद-फूल, अन्य सफेद वस्तुएं और अपनी श्रद्धा अनुसार दक्षिणा किसी कन्या को दान करें।
  • नियमित रूप से “ॐ शुं शुक्राय नम: या ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” आदि मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  • यदि शुक्र जनित रोग व स्वास्थ्य समस्याओं से निजात चाहते है तो “ॐ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्” का जाप करें।
  • हर शुक्रवार आटे में चीनी मिलाकर चींटियों को खिलाएं।
  • रोज सुबह सफेद गाय को आटे की लोई खिलाएं।
  • अपने घर या दफ्तर में शुक्र यंत्र की विधि-विधान से पूजा करके उसको स्थापित करें।
  • यदि आपकी कुंडली में शुक्र कमजोर हो तो आपको किसी ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह पर हाथ में चांदी का कंगन या गले में स्फटिक की माला धारण करनी चाहिए।
  • कुंडली में हर प्रकार के शुक्र ग्रह दोष की मुक्ति हेतु

 

वृषभ में बनेगा “लक्ष्मी नारायण योग”

जिस समय शुक्र वृषभ राशि में विराजमान होंगे, उनकी युति वहां पहले से मौजूद बुध के साथ होगी। बुध-शुक्र की युति से वृषभ राशि में लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होगा। वरिष्ठ ज्योतिषी के अनुसार लक्ष्मी नारायण योग उन शुभ योगों में से एक होता है, जिससे दरिद्र भी धनवान बन जाता है। ऐसे में वृषभ राशि में इस शुभ योग का बनना इस राशि के जातकों को रोमांटिक और कलात्मक प्रवृत्ति का बनाएगा। उनके जीवन में सुख और सौभाग्य की वृद्धि होगी। खासतौर से उनके वैवाहिक जीवन में इस योग से भाग्य का साथ मिलेगा। यदि आपकी संतान हैं तो वे अपनी शिक्षा में पहले से अधिक बेहतर प्रदर्शन देने में सक्षम होगी।

बता दें कि ये योग वृषभ राशि में 18 जून से 2 जुलाई तक बनेगा, क्योंकि उसके बाद बुध देव वृषभ से निकलकर मिथुन में गोचर कर जाएंगे।

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