Om Asttro / ॐ एस्ट्रो

News & Update

ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

Omasttro.in

Omasttro

“श्रीहरि को सृष्टि की रक्षा का भार एवं त्रिदेव को आयुर्बल देना”

परमेश्वर शिव बोले ;– हे उत्तम व्रत का पालन करने वाले विष्णु ! तुम सर्वदा सब लोकों में पूजनीय और मान्य होगे। ब्रह्माजी के द्वारा रचे लोक में कोई दुख या संकट होने पर दुखों और संकटों का नाश करने के लिए तुम सदा तत्पर रहना। तुम अनेकों अवतार ग्रहण कर जीवों का कल्याण कर अपनी कीर्ति का विस्तार करोगे । मैं तुम्हारे कार्यों में तुम्हारी सहायता करूंगा और तुम्हारे शत्रुओं का नाश करूंगा। तुममें और रुद्र में कोई अंतर नहीं है, तुम एक दूसरे के पूरक हो। जो मनुष्य रुद्र का भक्त होकर तुम्हारी निंदा करेगा, उसका पुण्य नष्ट हो जाएगा और उसे नरक भोगना पड़ेगा। मनुष्यों को तुम भोग और मोक्ष प्रदान करने वाले और उनके परम पूज्य देव होकर उनका निग्रह, अनुग्रह आदि करोगे।

ऐसा कहकर भगवान शिव ने मेरा हाथ विष्णुजी के हाथ में देकर कहा- तुम संकट के समय सदा इनकी सहायता करना तथा सभी को भोग और मोक्ष प्रदान करना तथा सभी मनुष्यों की कामनाओं को पूरा करना । तुम्हारी शरण में आने वाले मनुष्य को मेरा आश्रय भी मिलेगा तथा हममें भेद करने वाला मनुष्य नरक में जाएगा।

ब्रह्माजी कहते हैं ;- देवर्षि नारद! भगवान शिव का यह वचन सुनकर मैंने और भगवान विष्णु ने महादेव जी को प्रणाम कर धीरे से कहा- हे करुणानिधि भगवान शंकर! मैं आपकी आज्ञा मानकर सब कार्य करूंगा। मेरा जो भक्त आपकी निंदा करे, उसे आप नरक प्रदान करें। आपका भक्त मुझे अत्यंत प्रिय है।

महादेव जी बोले ;- अब ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के आयुर्बल को सुनो। चार हजार युग का ब्रह्मा का एक दिन होता है और चार हजार युग की एक रात होती है। तीस दिन का एक महीना और बारह महीनों का एक वर्ष होता है ! इस प्रकार के वर्ष-प्रमाण से ब्रह्मा की सौ वर्ष की आयु होती है और ब्रह्मा का एक वर्ष विष्णु का एक दिन होता है। वह भी इसी प्रकार से सौ वर्ष जिएंगे तथा विष्णु का एक वर्ष रुद्र के एक दिन के बराबर होता है और वह भी इसी क्रम से सौ वर्ष तक स्थित रहेंगे। तब शिव के मुख से एक ऐसा श्वास प्रकट होता है, जिसमें उनके इक्कीस हजार छ: सौ दिन और रात होते हैं। उनके छः बार सांस अंदर लेने और छोड़ने का एक पल और आठ घड़ी और साठ घड़ी का एक दिन होता है। उनके सांसों की कोई संख्या नहीं है इसलिए वे अक्षय हैं। अतः तुम मेरी आज्ञा से सृष्टि का निर्माण करो । उनके वचनों को सुनकर विष्णुजी ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि आपकी आज्ञा मेरे लिए शिरोधार्य है। यह सुनकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और अंतर्धान हो गए। उसी समय से लिंग पूजा आरंभ हो गई।

 

|| शिव पुराण ||

0

%d bloggers like this: