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ॐ नमस्ते गणपतये ॥ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः । स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः । स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः । स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ हमारे यहां पर वैदिक ज्योतिष के आधार पर कुंडली , राज योग , वर्ष पत्रिका , वार्षिक कुंडली , शनि रिपोर्ट , राशिफल , प्रश्न पूछें , आर्थिक भविष्यफल , वैवाहिक रिपोर्ट , नाम परिवर्तन पर ज्योतिषीय सुझाव , करियर रिपोर्ट , वास्तु , महामृत्‍युंजय पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , शनि ग्रह शांति पूजा , केतु ग्रह शांति पूजा , कालसर्प दोष पूजा , नवग्रह पूजा , गुरु ग्रह शांति पूजा , शुक्र ग्रह शांति पूजा , सूर्य ग्रह शांति पूजा , पितृ दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रह शांति पूजा , सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ , प्रेत बाधा निवारण पूजा , गंडमूल दोष निवारण पूजा , बुध ग्रह शांति पूजा , मंगल दोष (मांगलिक दोष) निवारण पूजा , केमद्रुम दोष निवारण पूजा , सूर्य ग्रहण दोष निवारण पूजा , चंद्र ग्रहण दोष निवारण पूजा , महालक्ष्मी पूजा , शुभ लाभ पूजा , गृह-कलेश शांति पूजा , चांडाल दोष निवारण पूजा , नारायण बलि पूजन , अंगारक दोष निवारण पूजा , अष्‍ट लक्ष्‍मी पूजा , कष्ट निवारण पूजा , महा विष्णु पूजन , नाग दोष निवारण पूजा , सत्यनारायण पूजा , दुर्गा सप्तशती चंडी पाठ (एक दिन) जैसी रिपोर्ट पाए और घर बैठे जाने अपना भाग्य अभी आर्डर करे

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heler
kundli41
2023
Pt.durgesh
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     ब्रह्माजी कहते हैं-हे नारद! तत्पश्चात हिमालय और मैना देवी भगवती और शिवजी के चिंतन में लीन रहने लगे | उसके बाद जगत की माता जगदंबिका अपना कथन सत्य करने के लिए अपने पूर्ण अंशों द्वारा पर्वतराज हिमालय के ह्रदय में आकर विराजमान हुई | उस समय उनके शरीर में अद्भुत एवं सुन्दर प्रभा उतर आई | वे तेज से प्रकाशित हो गए और आनंदमग्न हो देवी का ध्यान करने लगे | तब उत्तम समय में गिरिराज हिमालय ने अपनी प्रिया मैना के गर्भ में उस अंश को स्थापित कर दिया | मैना ने हिमालय के हृदय में विराजमान देवी के अंश से गर्भ धारण किया | देवी जगदम्बा के गर्भ में आने से मैना की शोभा व कांति निखर आई और वे तेज से सम्पन्न हो गई | तब उन्हें देखकर हिमालय बहुत प्रसन्न रहने लगे | तब देवताओं सहित श्रीहरि और मुझे इस बात का ज्ञान हुआ तो हमने देवी जगदंबिका की बहुत स्तुति की और सभी अपने-अपने धाम को चले गए | धीरे-धीरे समय बीतता गया | दस माह पूरे हो जाने के पश्चात देवी शिवा ने मैना के गर्भ से जन्म ले लिया | जन्म लेने के पश्चात देवी शिवा ने मैना को अपने साक्षात रूप के दर्शन कराए | देवी के जन्म दिवस वाले दिन बसंत ऋतु के चैत्र माह की नवमी तिथि थी | उस समय आधी रात को मृगशिरा नक्षत्र था | देवी के जन्म से सारे संसार में प्रसन्नता छा गई | मंद-मंद हवा चलने लगी | सारा वातावरण सुगन्धित हो गया | आकाश में बादल उमड़ आए और हल्की-हल्की फुहारों के साथ पुष्प वर्षा होने लगी | तब मां जगदम्बा के दर्शन हेतु विष्णुजी और मेरे अहित सभी देवी-देवता गिरिराज हिमालय के घर पहुंचे | देवी के दर्शन कर सबने दिव्यरूपा महामाया मंगलमयी जगदंबिका माता की स्तुति की | तत्पश्चात सभी देवता अपने-अपने धाम को चले गए | 
 
     स्वयं माता जगदंबा को पुत्री रूप में पाकर हिमालय और मैना धन्य हो गए | वे अत्यंत अनद का अनुभव करने लगे | देवी के दिव्य रूप के दर्शन से मैना को उत्तम ज्ञान की प्राप्ति हो गई | तब मैना देवी से बोलीं-हे जगदंबा! हे शिवा! हे महेश्वरी! अपने मुझ पर बड़ी कृपा की, जो अपने दिव्य स्वरूप के दर्शन मुझे दिए | हे माता! आप तो परम शक्ति हैं | आप तीनों लोकों की जननी हैं और देवताओं द्वारा आराध्य हैं | हे देवी! आप मेरी पुत्री रूप में आकर शिशु रूप धारण कर लीजिए | 
 
     मैना की बात सुनकर देवी मुस्कुराते हुए बोलीं-मैना! तुमने मेरी बड़ी सेवा की हैं | तुम्हारी भक्ति भावना से प्रसन्न होकर ही मैंने तुम्हे वर मांगने के लिए कहा था और तुमने मुझे अपनी पुत्री बनाने का वर मांग लिया था | तब मैंने ‘तथास्तु’ कहकर तुम्हे अभीष्ट फल प्रदान किया था | तत्पश्चात मैं अपने धाम को चली गई थी | उस वरदान के अनुसार आज मैंने तुम्हारे गर्भ से जन्म ले लिया हैं | तुम्हारी इच्छा का सम्मान करते हुए मैंने तुम्हे अपने दिव्य रूप के दर्शन दिए | अब अप दोनों दम्पति मुझे अपनी पुत्री मानकर मेरा लालन-पालन करो और मुझसे स्नेह रखो | मैं पृथ्वी पर अद्भुत लीलाएं करूंगी तथा देवताओं के कार्यों को पूरा करूंगी | बड़ी होकर मैं भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर उनकी पत्नी बनकर इस जगत का उद्धार करूंगी | 
 
     ऐसा कहकर जगत माता देवी जगदंबा चुप हो गई | तब देखते ही देखते देवी भगवती नन्हे शिशु के रूप में परिवर्तित हो गई | 
 
 
 
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